शाहनवाज अख्तर / न्यूज11 भारत
रांचीः कल्पतरु वृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है. वेद और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है. इधर, राजधानी रांची के डोरंडा में भी 3 कल्पतरु वृक्ष मौजूद है जिसका पेड़ और उसका फल इन दिनों फिर से काफी चर्चों में है. दरअसल, ताजा रिसर्च में कल्पतरु पेड़ के बारे में कई दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं. रांची यूनिवर्सिटी के एनवायरमेंटल साइंस के एक छात्र निखिल मेहुल ने इन पेड़ों को लेकर रिसर्च किए है. जिसमें कई दिलचस्प तथ्य उभरकर सामने आए है. छात्र के मुताबिक, 5000 वर्ष पूर्व समुद्र मंथन के समय 9 अन्य चीजों के साथ यह पेड़ अस्तित्व में आया था.
डोरंडा में मौजूद इन पेड़ों को लेकर रांची डीएफओ (DFO) श्रीकांत वर्मा ने कहा कि यह अत्यंत ही खास और दुर्लभ पेड़ हैं. जिनको बचाना बेहद जरूरी है उन्होंने कहा कि पुराणों में इसे स्वर्ग का पेड़ कहा जाता है. इस पेड़ के चारों ओर बैरिकेडिंग भी कराई गई है. ताकि इन पेड़ों को सुरक्षित रखा जा सकें.
मिलते हैं जबरदस्त औषधीय गुण
वहीं इस पेड़ के बारे रिसर्च कर रहे रांची यूनिवर्सिटी के छात्र निखिल ने भूगर्भ जल को बचाने में कल्पतरु की भूमिका को समझते हुए कल्पतरु प्लांटेशन का अभियान छेड़ा है और अब तक सैकड़ों कल्पतरु के पेड़ लगा चुके हैं. निखिल के मुताबिक कल्पतरु के फल में जबरदस्त औषधीय गुण होते है कल्पतरु के फल में संतरे से 5 गुना अधिक विटामिन C पाया जाता है. छात्र ने कहा कि कल्पतरू की जड़ में जबरदस्त जल संग्रहण क्षमता होती है, मतलब जहां कल्पतरु का पेड़ होता है वहां आसपास पानी की समस्या नहीं होती.
ये भी पढ़ें... Apple भारत में लॉन्च करेगी अपना क्रेडिट कार्ड
देश में मौजूद है कुल 9 कल्पतरु के पेड़
बता दें, बता दें, देश में कुल 9 कल्पतरु वृक्ष मौजूद है जिनमें पिछले 2 दशक पहले 4 कल्पतरू पेड़ अकेले रांची के डोरंडा में हुआ करते थे जिसमें से एक वृक्ष अचानक बारिश की वजह से गिर गया. उसके बाद आसपास के लोगों को यह मामलू हुआ कि यह पेड़ कल्पतरू है और यह कई हजार साल पुराना पेड़ है. बता दें, रांची में तीन कल्पतरू के वृक्ष अब भी मौजूद है.
गिरते भूगर्भ जल स्तर को रोकता है कल्पतरु
कल्पतरु का यह यह मानव सभ्यता की शुरुआत का गवाह है पौराणिक धर्मग्रंथों के मुताबिक, समुद्र मंथन के समय कल्पतरु वृक्ष से जो नौ रत्न प्राप्त हुए थे उनमें से यह कल्पतरु वृक्ष एक हाथ रत्न है. आए दिनों भूगर्भ जलों का स्तर लगातार नीचे चला जा रहा है जिससे लोगों को परेशानी होनी शुरू हो गई है. वहीं राजधानी रांची में गिरते भूगर्भ जल स्तर को अगर बचाना है तो ज्यादा से ज्यादा कल्पतरु वृक्ष लगाने की जरूरत है.