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रांची/डेस्क: झारखंड की धरती के गर्भ में समृद्ध रियासतों के कई गाथा और बेशकीमती खजाने दफन है. जो दिन-भर-दिन संरक्षण और खोज के अभाव में विलुप्त होते जा रही है. इन्ही में से एक सिमडेगा के बीरू रियासत के जमींदोज महल की रोचक गाथा है. शायद ही यह गाथा आपने सुनना होगा. जहां इंसान के जिंदा बाघ बन जाने से लेकर समृद्ध खजाने का इतिहास दफन है.
सरंक्षण और खोज के अभाव में दफन है इतिहास और खजाना
झारखंड के सिमडेगा जिले के बीरूगढ एक जगह है. जो इसके गर्भ में इतिहास के कई राज और बेशकीमती खजाने दफन है. संरक्षण और खोज के अभाव में धरोहर विलुप्त होता जा रहा है. सिमडेगा के बीरूगढ अपने गर्भ में अतीत के कई ऐसी रोचक गाथा और बेशकीमती खजाने को छुपाए हुए है. अगर इसकी खोज शुरू कि जाए तो कालांतर के कई रोचक गाथा सामने आकर अपनी रोचकता से लोगो को आश्चर्य में डाल सकती है. आपको बता दें, बीरूगढ में अभी गंगराजवंश के वंशज रहते हैं. इनके निवास के ठीक पीछे पहाड़ी की तलहटी पर एक पुराने जमींदोज यानी भूगर्भ में स्थित हो चुके है. हालांकि, महल के भग्नावशेष दिखते है. जो कई रहस्य समेटे हुए है.
बीरुगढ के पूर्व राजा कोनकादेव रात में बन जाते थे बाघ
वर्तमान राजपरिवार के युवराज दुर्गविजय सिंह देव ने बताया कि वे लोग पुरी गजपति महाराज के वंशज हैं. जो वहां से चलकर यहां तक पहुंचे और उन्होंने रातू महाराज को वाकुंडा हीरा देकर बीरुगढ़ की रियासत प्राप्त की थी. इसके पहले बीरूगढ की रियासत कोनगादेव के अधीन थी. सन् 1326 में कोनगादेव से रातू महाराज ने यह रियासत गंग वंश को सौंपा था.
गंगराज वंश के पहले के राजा कोंनगादेव की कहानी बहुत विचित्र है. युवराज ने बताया कि कोंनगादेव बाघराजा थे. वे रात में बाघ बन जाया करते थे. एक बार अपनी रानी का गर्दन अपने पंजे से अलग कर दिया था. तबसे वे अकेले हो गए थे. ये जमींदोज महल यही कोंनगादेव का है. जो जमीन के अंदर से खोजा जाए तो कई राज सामने आ सकते हैं.
बीरूगढ रियासत का इतिहास कहता है कि ये खंडहर कई सौ साल पहले सात तल्ले का महल हुआ करता था. जिसके अंदर से तीन गुफाएं भी थी. युवराज के अनुसार, यह महल उनके परिवार से पहले के राजा कोंनगादेव का था. जिन्हे बाघराजा भी कहा जाता था. युवराज ने बताया कि 1937 में एक भूकंप में ये महल जमींदोज हो गया. इसके अंदर कई बेशकीमती सामान भी दफन हो गए. आज बस उसके बाहरी हिस्से दिखते हैं. उन्होंने कहा कि वह कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर इस राज को खोलने की कोशिश की है. लेकिन आज तक किसी ने पहल भी नहीं की.
न्यूज11 भारत इस कोंनगादेव के इस विचित्र गाथा की पुष्टि नहीं करता हैं. लेकिन युवराज दुर्ग विजय सिंह देव के द्वारा बताई गई गाथा अगर सही है तो इस महल की खुदाई से पुरातत्व के कई राज से पर्दा उठ सकता है.