न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः- दुनिया में मजहब के नाम पर होने वाले संघर्ष और धार्मिक कट्टरता के बीच एक अलग तरह की सामाजिक प्रवृति सामने आ रही है. यह धर्म से दूरी बनाने की यूरोप, अमेरिका, दक्षिण कोरिया जैसे विकसित और प्रगतिशील देशों में ऐसे लोगों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. जो अब किसी भी घर्म और आस्था में विश्वास नहीं रखते हैं. अमेरिका यूरोप व कोरिया में ऐसे ही लोगों की संख्या बढ़ती नजर आ रही है. ये तबका खुद को नास्तिक कहते हैं.
प्यू रिसर्च सेंटर के एक हालिया सर्वे के मुताबिक जर्मनी, स्पेन, इटली औऱ स्वीडन जैसे देशों में बड़ी संख्या में लोग अपनी पारंपरिक धर्म को त्यागा है. इटली में करीब 28.7 प्रतिशत लोग अपने पारिवारिक व जन्मजात धर्म को छोड़ा है और खुद को नास्तिक बता रहा है. ठीक उसी प्रकार स्पेन में 19.6 प्रतिशत, 19.8 फीसदी, स्वीडन में 16.7 फीसदी ने अपने धार्मिक आस्था को ठुकराया है. लोग अब अपने जीवनशैली के अनुसार धर्म चुनने व अस्वीकार करने का प्लान करने लगे हैं.
दक्षिण अमेरिकी के कई देशों में भी लोगों ने अपने पारंपरिक धर्म को त्यागा है. बताया जा रहा है कि इनमें से 99 फीसदी लोग पहले इसाई धर्म मानते थे. रिसर्च के मुताबिक दुनिया भर में 28.4 प्रतिशत ईसाई अब नास्तिक मानने लगे हैं खुद को.
वहीं हिन्दु व इस्लाम की बात करें तो इसमें जन्मजात धर्म छोड़ने वालों की संख्या बहुत कम है. आस्था के प्रति लोगों की बदलती सोच को दर्शाता है अब लोग धर्म को मजबुरी या परंपरा नहीं बल्कि अब एक व्यक्तिगत विकल्प के रुप में देखा जाने लगा है. वास्तव में पश्चिमी देशों में धार्मिक पहचान एक लचीला व बदलता हुआ पहलू बन गया है.