अरुण कुमार यादवन्यूज़11 भारत
गढ़वा/डेस्क: गढ़वा सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय पांडेय द्वारा चलाई जा रही पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कॉफी विद एसडीएम में गढ़वा सदर अनुमंडल क्षेत्र के उन 20 गांवों का प्रतिनिधित्व करते हुये 40 लोग पहुंचे हुए थे जो दानरो किनारे बसे हुए हैं. संजय कुमार ने दानरो किनारे बसे 28 गांवों में से प्रत्येक गांव के दो-दो लोगों को "कॉफ़ी विद एसडीएम" में आमंत्रित किया था, हालांकि 28 में से 20 गांव के लोग ही कार्यक्रम में पहुंचे.अभी से लेकर अगले वर्ष पर्यावरण दिवस तक पूरे एक साल तक चलने वाले विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों की श्रृंखला के रूप में "दानरो महोत्सव" की शुरुआत का प्रस्ताव लाया गया. 20 अलग-अलग गांव से पहुंचे 40 प्रतिनिधियों में जिला परिषद सदस्य, ब्लाक प्रमुख, मुखिया, बीडीसी सहित आम नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रेमी भी शामिल रहे. सभी ने सर्वसम्मति से एसडीएम द्वारा सुझाए गए "दानरो महोत्सव" कार्यक्रम का समर्थन किया. फलस्वरुप आज से औपचारिक रूप से "दानरो महोत्सव" का शुभारंभ किया गया.एसडीएम और नागरिकों के साथ हुए इस अनौपचारिक संवाद के दौरान निर्णय लिया गया कि सभी 28 गांव में वृक्षारोपण, नदी स्वच्छता, गंगा आरती जैसी कई गतिविधियां आयोजित की जाएंगीं वहीं खुले में शौच के विरुद्ध अभियान, अवैध बालू उठाव के विरुद्ध अभियान, नदी अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान जैसे कई प्रयास नागरिक प्रशासनिक सहयोग से किये जाएंगे.
बैठक में तय किया गया कि दानरो के तटीय इलाकों में अवस्थित सभी गांव में 'दानरो क्लब' नाम से स्थानीय समितियां बनायीं जाएंगीं. ये समितियां ही विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों एवं अभियानों को स्थानीय स्तर पर संचालित करेंगी. हर गांव का क्लब अपने गांव के अंतर्गत आने वाली नदी की स्वच्छता, नदी के संरक्षण का जिम्मा लेंगे. इस ग्राम स्तरीय क्लब में कम से कम 20 सदस्य होंगे हालांकि इन सदस्यों की संख्या 20 से अधिक कितनी भी हो सकती है.अनुमंडल क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों से पहुंचे लोगों ने दानरो नदी संरक्षण की दिशा में उठाए जा रहे इस कदम का न केवल स्वागत किया बल्कि "दानरो महोत्सव" जैसे वृहत जागरूकता अभियानों को समसामयिक जरूरत बताई. इस बीच में सभी ने अपने अपने सुझाव भी दिये.कल्याणपुर के मुखिया अशोक कुमार चंद्रवंशी ने कहा कि वे इसी नदी के किनारे पले बढ़े हैं, अब इसको बचाए रखने की जिम्मेदारी भी हम लोगों की है. उन्होंने कहा कि ग्राम जल स्वच्छता समिति के माध्यम से नदी के किनारों को खुले में शौच के विरुद्ध अभियान चलाने का सुझाव दिया.
टंडवा की पूर्व पार्षद सविता देवी ने कहा कि दानरो नदी उनके लिए किसी गंगा से कम नहीं है, वह बहुत खुश हैं कि इस अभियान का हिस्सा बन रही है. जाटा गांव की मालती देवी ने कहा कि यह बहुत ही कारगर कदम है वह अपने स्तर से 20 लोग इस अभियान से छोड़ेंगी. उन्होंने कहा कि स्वच्छ नदी से ही स्वस्थ गांव बन सकता है.छतरपुर पंचायत की मुखिया संगीता देवी ने कहा कि वह अपने गांव में समिति बनाकर नदी के संरक्षण में स्थानीय प्रयास करेंगी.डंडई के मिथिलेश कुमार ने कहा कि दानरो एक जीवंत नदी है, यह कभी मृत न होने पाए इसकी चिंता सभी को करनी है. उन्होंने नदी के किनारों पर अतिक्रमण मुक्ति अभियान चलाने का सुझाव दिया. भरटिया निवासी संजय चौधरी ने कहा कि नदी तटों पर वृक्षारोपण कर अस्थाई बांस बल्ली से छोटे-छोटे बगीचे बनाए जा सकते हैं, नदी का सौंदर्यीकरण होने से वहां रौनक रहेगी.मधेया के लालमोहन राम ने कहा कि वे बहुत पहले से सोच रहे थे कि नदी को लेकर कोई अभियान चले, वह आज देखने को मिल रहा है.झलुवा के उस्मान अंसारी ने कहा कि पानी का स्तर दिनों दिन घट रहा है इसका कारण नदी की दुर्दशा है इसलिए नदी की दशा ठीक करने में हम लोगों को भी आगे आना होगा.
मधेया के ही देवेंद्र राम ने कहा कि आज जो लोग इस कार्यक्रम में आए हैं वे वापस जाकर अपने गांव मोहल्ले में इसकी चर्चा जरूर करें.झलुवा निवासी शूजाउद्दीन अंसारी ने कहा कि नदी तटों को हरा-भरा बनाना होगा. छतरपुर के रुस्तम अंसारी बालू उठाव को रोकने की वकालत करते हैं.हूर के मुखिया बसंत चौबे ने कहा कि गढ़वा एसडीएम की यह पहल बहुत अच्छी है किंतु इस पहल को मूर्त रूप देने के लिए हम सभी स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं आम नागरिकों को आगे आना होगा. शुभम तिवारी ने कहा कि नदी किनारे जो गैर मजूरवा जमीन है वहां पार्क निर्माण और वृक्षारोपण का प्रयास किया जाए. दीनानाथ चौबे ने दानरो नदी के अलावा इसके सहायक नदी नालों के संरक्षण की भी बात की. डंडई के जिला परिषद सदस्य मोहन पासवान ने कहा कि अभी जो लोग नदी पर अवैध कब्जा किए हुए हैं उनको समझाने बुझाने का प्रयास किया जाएगा. यदि वे कब्जा मुक्त नहीं करेंगे तब प्रशासनिक स्तर से खाली करवाया जाए.
सफीक अंसारी ने कहा कि यह पहली पब्लिक मीटिंग है जो सिर्फ नदी संरक्षण को लेकर बुलाई गई है, यह एक अच्छा संदेश है. वह ऐसी ही बैठकें पंचायत स्तर पर किए जाने के पक्षधर हैं.गढ़वा प्रखंड के कार्यकारी प्रमुख फैजुल अंसारी ने नदियों के सौंदर्यीकरण की दिशा में टीम बनाकर काम करने का सुझाव दिया. पिंटू गुप्ता ने कहा कि स्थानीय स्तर पर जो दानरो क्लब बनाये जा रहे हैं इससे नदी संरक्षण का अभियान एक आंदोलन का रूप ले लेगा. करकोमा मुखिया वीरेंद्र तिवारी ने कहा कि सभी गांव के लोग अपनी ग्राम सभा में नदी संरक्षण से जुड़े ग्राम स्तरीय नियम बना लें फिर उन नियमों का पालन करें, जो पालन नहीं करें उसे ग्राम सभा दंडित भी करे.गेरुआ पंचायत के मुखिया अनिल चौधरी ने कहा कि यह सरकारी बैठक नहीं है बल्कि सामाजिक बैठक है, इसलिए इस बैठक के दूरगामी सामाजिक परिणाम आएंगे. उन्होंने नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने पर जोर दिया.देवगाना के रामाशंकर चौबे ने कविता के माध्यम से न केवल अपना दर्द बयां किया बल्कि नदी आंदोलन के लिए सभी को प्रेरित भी किया. पर्यावरणविद संतोष चौबे ने बोरा-बांध बनाकर जगह-जगह जल रोकने का सुझाव दिया. दिवाकर तिवारी ने कहा कि ग्राम स्तरीय क्लब के अलावा अनुमंडल स्तरीय विशेषज्ञ समिति भी बने.कोरवाडीह मुखिया शरीफ अंसारी ने कहा कि मनरेगा के तहत कई ऐसी योजनाएं ली जा सकतीं हैं जो नदी तटों को बेहतर कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि अगर हम अभी इस आंदोलन का हिस्सा नहीं बने तो आने वाली पीढ़ियां पानी के लिए तरसेंगी.
सहीजना के पूर्व पार्षद जितेंद्र सिंहा ने सभी से इस अभियान से जुड़ने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है इसलिए सभी वर्ग, जाति, धर्म के लोग इससे जुड़ें. पर्यावरणविद चिंतक और विचारक विनोद पाठक ने कहा कि यह काम निश्चित रूप से थोड़ा कठिन है किंतु हम सभी को इसे चुनौती के रूप में लेना है और दानरो महोत्सव को वर्ष भर सतत चलाए रखते हुए नदी संरक्षण की दिशा में सुखद बदलाव के भागीदार बनना है. गढ़वा अंचल अधिकारी सफी आलम ने कहा कि वे हर गांव के अंतर्गत आने वाली नदी का सीमांकन कर देंगे ताकि वहां के लोगों को अपने हिस्से की नदी संरक्षण के लिए आसानी हो. डंडई के अंचलाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी देवलाल करमाली ने सदर एसडीएम द्वारा शुरू किए गए दानरो महोत्सव को ऐतिहासिक बताते हुए अपने अंचल क्षेत्र के नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की.उपरोक्त के अलावा सोनिया देवी, संजय चौधरी, चंदन पासवान, जयप्रकाश तिवारी, पंकज तिवारी, अशोक शर्मा, लक्ष्मी देवी, राजेश यादव, संजय चंद्रवंशी आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे.बैठक में देवगाना, गेरुआ, तिसरटेटुका, कोरवाडीह, टंडवा, जाटा, नवाडीह, छतरपुर, कल्याणपुर, डंडई, सहिजना, झलुवा, मधेया, भरटिया, हूर, फरटिया, करकोमा, खुटैलिया, करमडीह आदि गांवों के लोगों ने भाग लिया.