झारखंडPosted at: अक्तूबर 13, 2022 देवघर एयरपोर्ट पर जल्द शुरू होगी विमानों के नाइट लैंडिंग की सुविधा
केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय और एयरपोर्ट अथॉरिटी ने दी मंजूरी

न्यूज11 भारत,
रांची. झारखंड के दूसरे एयरपोर्ट देवघर में जल्द ही नाइट लैंडिंग की सुविधा बहाल होगी. नाइट लैंडिंग में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय की ओर से आईल सिस्टम लगाने की अनुमति दे दी गयी है. अब बाबा नगरी में कम विजिबिलिटी पर भी विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ की सुविधाएं बहाल हो सकेंगी. इसके लिए रडार भी लगाया जायेगा. नागर विमानन महानिदेशालय तथा भारतीय विमानन प्राधिकार ने राडार के लिए क्लीयरेंस भी दे दिया है. एयरपोर्ट के रन-वे के समीप रडार लगाये जाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए हैदराबाद और बेंगलुरु से विशेषज्ञों की टीम देवघर एयरपोर्ट आयी है. रडार का इक्विपमेंट भी एयरपोर्ट पहुंच चुका है. एक सप्ताह के अंदर रडार लगाने का काम शुरू हो जायेगा. एयरपोर्ट में आइएल सिस्टम व रडार लगाने में करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे. रडार में डॉप्लर वेरी हाई फ्रिक्वेंसी ओम्नी रेंज और हाइ पॉवर डिस्टेंस मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट लगाये जाने हैं, जिससे रात और खराब मौसम में फ्लाइट की नाइट लाइटिंग की व्यवस्था की जायेगी. राडार लगने से दो सौ किमी दूर से ही फ्लाइट का पता चल जायेगा. देवघर एयरपोर्ट पर सर्विलांस रडार नहीं होने से एयर ट्रैफिक कंट्रोल को कम विजिबिलिटी में विमान की स्थिति का पता नहीं लग पाता है. रेडियो डिटेक्शन एंड रैंगिंग से हवाई जहाज की लोकेशन, डायरेक्शन आदि जानकारी मिलती है. रेडियो वेव्स की मदद से भेजता और रिसीव करता है. रडार में एंटीना डिप्लेक्सर, ट्रांसमीटर, फेज-लॉक लूप, रिसीवर और प्रोसेसर होते हैं. ट्रांसमीटर से हर सेकंड रेडियो वेव्स निकलती हैं. इनकी स्पीड लाइट के बराबर होती है. ट्रांसमीटर जब रेडिएशन छोड़ता है, तो रिसीवर इनको कैच करके मैप डिजाइन करता है, जिससे ये रडार के डिसप्ले पर दिखा देता है. इससे पता चल जायेगा कि रन-वे पर कितनी देर में फ्लाइट लैंड करने वाली है.