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रांची/डेस्क: नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा को अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. आज (20 अक्टूबर) को चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है. इस दिन देवी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म कन्यातन ऋषि के घर हुआ था इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है.
नवरात्र के छठा दिन मां कात्यायनी की होती है पूजा
मां कात्यायनी दुर्गा की छठा स्वरूप है. नवरात्रि के छठे दिन मां स्कंदमाता की विशेष रूप से अराधना की जाती है. भागवत पुराण के अनुसार, कात्यायनी वह देवी हैं जिन्होंने महिषासुर का वध किया था. देवी के इस स्वरूप की सबसे अद्भुत बात यह है कि इन्होंने अपने पिता के वंश का नाम आगे बढ़ाया. इनकी सवारी शेर है. जबकि आमतौर पर ये अधिकार बेटों को ही मिलते हैं. कहा जाता है कि मां कात्यायनी की कृपा से भी विवाह में आ रही रुकावट दूर हो जाती है. विवाह संबंधी मामलों के लिए इनकी पूजा अजेय है. मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी बाधा समाप्त हो जाती है. साथ ही सभी चिंताओं और व्यसनों से मुक्त हो जाते है.
शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 44 मिनट से 05 बजकर 34 मिनट तक, प्रातः मुहूर्त 05 बजकर 09 से 09 बजकर 25 मिनट तक, अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त 05 बजकर 47 मिनट से 05 बजकर 12 मिनट तक है.
मंत्र
-या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। -ॐ देवी कात्यायन्यै नमः ॥ चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी ॥
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पूजा विधि
सबसे पहले स्नान-ध्यान के बाद शुभ रंगों के वस्त्र पहनकर कलश पूजा करें. बता दें, मां कात्यायनी को लाल रंग अतिप्रिय है. फिर मां दुर्गा के स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा करे पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर ले. और वह फूल मां को अर्पित कर दें, फिर कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करने के बाद भोग अर्पित करें. बता दें, मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग बहुत ज्यादा प्रिय है. वहीं माता को शहद से तैयार हलवे का भोग लगा सकते हैं. फिर जल अर्पित करें और घी के दीपक जलाकर माता की आरती करें. देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए.