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रांची/डेस्क: भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के बाद 65 लाख मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने का निर्णय सार्वजनिक कर दिया है. हटाए गए नामों की पूरी सूची बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की आधिकारिक वेबसाइट (
ceoelection.bihar.gov.in) पर उपलब्ध है. यह कदम उन विपक्षी दलों के आरोपों के जवाब में उठाया गया है, जिन्होंने राज्य में "वोट चोरी" का आरोप लगाते हुए व्यापक धांधली की आशंका जताई थी. 1 अगस्त को प्रकाशित प्रारंभिक मतदाता सूची में इन 65 लाख मतदाताओं के नाम नहीं पाए गए थे, जिसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को लेकर वोटर अधिकार यात्रा शुरू की है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में इन आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि मतदाता सूची की समीक्षा एक तय प्रक्रिया के तहत की गई है. इसके अगले ही दिन, सोमवार को आयोग ने पारदर्शिता बनाए रखते हुए हटाए गए नामों की सूची सार्वजनिक कर दी. आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह सूची उसी प्रक्रिया और पारदर्शिता के साथ जारी की गई है, जैसा कि अन्य चुनावी दस्तावेजों के साथ किया जाता है. आयोग का मानना है कि इस कदम से विपक्ष की ओर से लगाए गए आरोपों पर विराम लगेगा.
हटाए गए मतदाता अब दावा-आपत्ति प्रक्रिया के माध्यम से अपने नाम की जांच और पुनः शामिल कराने की प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं. यह प्रक्रिया सूची जारी होने से पूर्व ही प्रारंभ हो चुकी थी. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इन 65 लाख में से कितने लोग आगे आकर अपने मताधिकार की पुनः स्थापना के लिए कदम उठाते हैं.