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रांची/डेस्क: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के सामने एक मामला आया है, जहां एक सास अपनी बहु के लिए घरेलू हिंसा के तहत मामला दर्ज करने की अपील कर रही थी. इस केस में कोर्ट ने सास की अपील खारिज कर दी गई हैं. कोर्ट ने कहा है कि सास, जो न तो ट्रायल कोर्ट के समक्ष पार्टी है और न ही ट्रायल कोर्ट के आदेश से प्रभावित है,घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम,2005 के तहत अपील नहीं कर सकती.
सास ने अपील की थी
कोर्ट में जस्टिस विनोद चटर्जी कौल ने एक सास की तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दया. इस याचिका में सास ने अपनी बहु की ओर से दायर घरेलु हिंसा के मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति देने से सेशन कोर्ट के इनकार को चुनौती दी थी.
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा है कि, निश्चित रूप से सास पीड़ित व्यक्ति की परिभाषा में फिट नहीं बैठता है, इसलिए वह अपील दायर करने का हकदार नहीं है, क्योंकि वह न तो ट्रायल कोर्ट में पार्टी है और न ही इसके खिलाफ कोई आदेश पारित किया गया हैं. अदालत ने सास का आवेदन इस आधार पर खारिज कर दया था कि वह घरेलु हिंसा अधिनियम की धारा 20 A के तहत 'पीड़ित व्यक्ति' के रूप में योग्य नहीं हैं. इसी के बाद इस फैसले को चुनौती देने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था.
खारिज की अपील
सास ने यह सबमिट किया था कि घरेलु हिंसा की पीड़िता की सास होने के नेता वह धारा 29 के तहत अपील दायर कर सकती है, क्योंकि वह पीड़ित व्यक्ति की परिभाषा में आती है. हालांकि, इस पर हाईकोर्ट ने कहा है कि घरेलु हिंसा अधिनियम की धारा 29 के तहत अपील दायर करने का अधिकार केवल उन्हीं लोगों को है जो "पीड़ित व्यक्ति" की परिभाषा में आते है और निचली अदालत के आदेशों से सीधे प्रभावित होते हैं. निकली अदालत ने याचिका को ख़ारिज कर दिया. अधिवक्ता एस.एन. रतनपुरी और फिजा खुर्शीद ने याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी की थी.
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