न्यूज11 भारत
रांची/डेस्क: क्या अपने मांसाहारी पौधो के बारे में सुना हैं शायद जवाब न में होगा. लेकिन झारखंड के दलमा वन्यजीव अभयारण्य के जंगल में करीब 500 दुर्लभ मांसाहारी पौधे पाए गए है. जिनका वानस्पतिक नाम ड्रैसेरा बर्मानी है. इसे अंग्रेजी भाषा में "sundew" के नाम से भी पहचाना जाता है. बता दें, इन पौधो की खोज राजा घोष ने अपनी टीम के साथ की जो की पेड़-पौधों पर शोध (Research) करते है.
उन्होंने इसकी सूचना दलमा क्षेत्र के वन प्रमंडल पदाधिकारी डॉ अभिषेक कुमार के साथ-साथ झारखंड जैव विविधता परिषद को भी दी, ताकि इसके संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में प्रभावी कदम उठाया जा सके. राजा घोष मूल रूप से एक वनकर्मी हैं, लेकिन DFO के मार्गदर्शन में वे कई दुर्लभ जानवरों और पौधों की तलाश करते रहते है.
झारखंड के इस जंगल में हैं यह मांसाहारी पौधा
बता दें, वनकर्मी राजा घोष ने इससे पूर्व भी पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी के जंगल में ड्रैसेरा बर्मेने की भी खोज की थी. पशु विशेषज्ञ सह को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह कहते हैं कि यह पौधा अपनी बनावट और रंग से कीड़ों को खीचता है. बता दें, कीड़ों को आकर्षित करने के लिए यह पौधा अपने तने और पत्तियों से एक रस स्रावित करता है, जो पानी की बूंद जैसा दिखता है.
विशेषज्ञों ने कही ये बाते
इन पौधो को लेकर डॉ. अभिषेक कुमार के कहा की जैसे ही उन्हें इस खबर की जानकारी मिली कि दलमा में काफी मात्रा में ड्रैसेरा बर्मेनई नामक मांसाहारी पौधे पाए गए है. उस इलाके को सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. बता दें, इनकी रक्षा के लिए उस पूरे इलाके को मानवीय गतिविधियों से मुक्त कर दिया गया है.
वही, आयुर्वेदाचार्य डॉ. मनीष दूडिया के के अनुसार प्राचीन समय से ही इन पौधो का प्रयोग दवा (medicine) के तौर पर किया जाता रहा है. उन्होंने बताया की इन पौधो की मदद से खांसी की दवा बनाई जाती हैं, जो बहुत असरदार होती है. इतना ही नहीं इनका उपयोग हृदय रोग, दांत दर्द, फेफड़ों में सूजन और ताकत के लिए औषधि के रूप में किया जाता है. इसके अलावा जड़ के फूल और फलों से भी औषधि बनाई जाती है.