आशीष शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: सिमडेगा के सुदुर जंगलों में बाबा गुप्तेशवर का गुप्त धाम है. यहां पहाड़ों पर माता सती संग बाबा गुप्तेशवर विराजे हुए हैं. समय के साथ यहां का प्रकृति रूप से शिवलिंग बना हैं. यहां माता सती का कमाख्या रूप हैं. जहां हर मनोकामना पूरी होती है. माता सती को पूजा करने वाली सुहागने महिलाएं सदा सुहागन रहती हैं.
हर कण कण चमकता है प्रभु की माया से, हर सांस ये कहती है हम है तो भगवान भी हैं. भगवान को सर्वव्यापी कहा गया है और धरती पर साक्षात प्रकट होने वाले भगवान महादेव हीं हैं. भोलेनाथ कहां और कब प्रकट हो जाए ये कोई नहीं कह सकता हैं. सिमडेगा के भेलवाडीह गांव के पास घनघोर जंगलों से घिरी उंची उंची पहाडों के बीच में स्थित लिखाटोंकरी इसी का साक्षात उदाहरण है. यहीं महादेव का गुप्त धाम है. जहां माता सती संग महादेव विराजते हैं. भेलवाडीह गांव से करीब 10 किलोमीटर पश्चिम दक्षिण दिशा में घनघोर जंगलों और तीन पहाडों को पैदल पार करने के बाद आप बाबा गुप्तेशवर के धाम लिखाटोंगरी पहुंचेंगे. वहां पंहुचते के साथ ही आपकी सफर की सारी थकान खत्म हो जाएगी और अदभुत सुकून और शांति की अनुभूति होगी. जिसका बखान शब्दों में करना मुश्किल है. लिखाटोंगरी पहाड़ी पर स्थित भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग पूरी तरह से प्राकृतिक है. ऐसा लगता है यहां की पहाड़ी ने ही शिवलिंग का आकार ले लिया है. करीब चार फीट घेरा और तीन फीट ऊंचा विशाल शिवलिंग प्राकृतिक अरघा सहित स्थित है. जो देखने में अद्भुत लगता है. यहां आसपास रहने वाले वनवासियों का कहना है कि यह कई सदी पहले के पूर्वजों के काल का है. यहां के लोगों के अनुसार, यह शिवलिंग कालान्तर में आकार में छोटा था लेकिन समय के साथ शिवलिंग का आकार बढ़ता जा रहा हैं.
लिखाटोंगरी की इस पहाड़ी पर विराजमान शिवलिंग के साथ साथ बहुत-सी ऐसी आकृतियां भी विधमान है, जो किसी कालखंड में यहां देव भूमि होने का अहसास कराता है. शिवलिंग के पास हीं एक चट्टान पर उकेरी हुई नाग देवता और सूर्य देव की आकृति है. साथ ही यहां एक गुफा है जिसमें देवी मां का पिंड है. इसी गुफा की छत के उपर चट्टान पर माता सती का प्रतिक चिन्ह है. लोगों का कहना है कि यहां कामख्या देवी का सिद्धस्थल है. यहां जो सुहागन पूजा करती है, उसे सदा सुहागन रहने का वर मिलता है. यहीं पास में पत्थर की छोटी-छोटी आकृतियां शिवलिंग समूह होने का भान कराती हैं.
यहीं इस पहाड़ी के चारों तरफ काफी गुफाएं है, जिनकी दिवारों पर प्राचीन भाषाओं में लिखी कुछ इबारतें है. जो यहाँ किसी कालखंड में मानव जाति के रहने का अभास कराती है. इस पहाड़ी की बनावट भी ऐसी है कि यहां मानव, जानवरों और दुसरे आक्रमणकारियों से सुरक्षित रह सके. यहां आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणो की आस्था इस देव स्थल से जुड़ी है. लोगों का कहना है कि यहां मांगी हर मन्नत पूरी होती है.
ग्रामीणो के अनुसार यहां जब जब पुजा होता है तब तब बारिश होने लगती है. ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है. हालांकि इस दुर्गम पहाड़ी तक पंहुचना बहुत कठिन कार्य है. यही करण है कि यहाँ लोग कभी कभार हीं पंहुचते हैं. यहां जंगलों में बंदर बहुत हैं. मगर कभी किसी को नुकसान नहीं पंहुचते हैं.