अमित दत्ता/न्यूज 11 भारत
बुंडू/डेस्क: रविवार को कुड़मि महतो पारंपरिक (रूढ़ीवादी) ग्राम स्वशासन व्यवस्था से जुड़े सैकड़ों पदाधिकारी, हेड मेन महतो, बाइसी और सलाहकार गण प्रखंड क्षेत्र के सोनाहातु रोड स्थित पारमडीह चौक में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में शामिल हुए. सम्मेलन का आयोजन कुड़मि कबिला की पारंपरिक सामाजिक संरचना और अधिकारों की पुनर्स्थापना को लेकर किया गया था.
बैठक में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के समर्थन में जोरदार विचार-विमर्श किया गया. सभी उपस्थित समुदाय प्रतिनिधियों ने एक स्वर में यह कहा कि कुड़मि समाज की पारंपरिक ग्राम प्रशासन प्रणाली आज भी सामाजिक न्याय, आपसी विवाद निपटारा और गांव के समुचित संचालन के लिए प्रासंगिक है. इसके बावजूद इस व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
सम्मेलन में सर्वसम्मति से पारित दो प्रमुख प्रस्ताव:
1. पेशा कानून में समावेश नहीं हुआ तो ग्राम सभा का बहिष्कार:
यदि सरकार द्वारा हेड मेन महतो और उनकी पारंपरिक ग्राम स्वशासन प्रणाली को पेशा (PESA) कानून के दायरे में शामिल नहीं किया जाता है, तो अनुसूचित क्षेत्र के सभी कुड़मि गांव ग्राम सभा से बहिष्कार करेंगे. यह बहिष्कार एक सामूहिक और संगठित आंदोलन का रूप लेगा.
2. गांधी जयंती पर बुंडू के सुमानडीह गांव में ऐतिहासिक आमसभा:
आगामी 2 अक्टूबर 2025, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है, को ग्राम सुमानडीह (बुंडू) में एक विशाल आमसभा का आयोजन किया जाएगा. यह आयोजन कुड़मि महतो पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के बैनर तले होगा, जिसमें अनुसूचित क्षेत्र के सभी कुड़मि समुदाय के लोग,
हेड मेन महतो, बाइसी, युवा, महिलाएं एवं सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगे.
इस महासभा का उद्देश्य सरकार और समाज के सामने यह स्पष्ट रूप से रखना है कि कुड़मि समाज अपने पारंपरिक अधिकारों को लेकर अब और उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करेगा. यह सिर्फ सांस्कृतिक पहचान का नहीं, आदिवासी गरिमा और संवैधानिक हकदारी का भी सवाल है.
सम्मेलन में उठे प्रमुख मुद्दे:
- पारंपरिक पंचायत व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता मिले
- हेड मेन महतो को ग्राम सभा में निर्णय लेने का अधिकार दिया जाए
- गांव स्तर पर पारंपरिक न्याय प्रणाली को सरकार मान्यता दे
- कुड़मी समाज की ऐतिहासिक भूमिका को राष्ट्रीय पहचान मिले
समाज के प्रमुख वक्ताओं के विचार
सम्मेलन में उपस्थित वरिष्ठ कुड़मि विद्वानों और सामाजिक नेताओं ने सरकार से मांग की कि ग्राम स्वशासन की पुरानी और कारगर व्यवस्थाओं को खत्म करने की बजाय, उसे आज के संदर्भ में वैधानिक रूप से मान्यता दी जाए. उन्होंने कहा कि यदि सरकार हमारी आवाज नहीं सुनेगी, तो आने वाले समय में सभी अनुसूचित क्षेत्रों में बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा
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सम्मेलन का आयोजन पूरी तरह शांति और अनुशासन के साथ किया गया, जिसमें पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन किया गया. आने वाले दिनों में इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए सभी गांवों में बैठकें, जनजागरण अभियान और संपर्क यात्रा चलाई जाने की बात कही गई.