दो दिवसीय मेले में 40 से अधिक स्टॉल, 10+ कृषि विशेषज्ञ, राष्ट्रीय क्रेता कंपनियों और SHG/FPO की सक्रिय भागीदारी, ‘जन समाधान’ एवं ‘लोक सेतु’ पोर्टल का हुआ शुभारंभ
न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: कृषकों के उत्पाद को एक बाजार मिले, उनके प्रोडक्ट एक ऐसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचने के प्रयास तेज हो गए हैं. इसी कड़ी में आज जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, चतरा में कृषि उद्यम मेला – 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ. दीप प्रज्वलन के साथ विधिवत रूप से उद्घाटन कर जिले के कृषि इतिहास में एक नई शुरुआत दर्ज की गई. दो दिवसीय इस मेले में कृषि से जुड़े विविध क्षेत्रों की योजनाओं, तकनीकों और बाजार को एक साझा मंच पर लाया गया है, जिसका उद्देश्य है—किसान और क्रेता के बीच सीधा संवाद स्थापित कर बिचौलियों की भूमिका समाप्त करना.
विशेषताएं और प्रमुख उपलब्धियां:
40 से ज्यादा स्टॉल: कृषि विभाग, गव्य विकास, मत्स्य, उद्यान, भूमि संरक्षण, JSLPS, कृषि विज्ञान केंद्र सहित विभिन्न विभागों एवं SHGs/FPOs द्वारा योजनाओं और उत्पादों की प्रदर्शनी. 10 से ज्यादा कृषि विशेषज्ञ और 30 से ज्यादा राष्ट्रीय क्रेता कंपनियाँ: Amul, Reliance, Suvidha Mart, Tokari Fresh आदि संस्थाएं उपस्थित रहीं.
डिजिटल नवाचार: आमजनों की भागीदारी और शिकायत निवारण हेतु “जन शिकायत पोर्टल” और “लोक सेतु पोर्टल” का लोकार्पण किया गया. अब आम नागरिक ऑनलाइन आवेदन कर योजनाओं का लाभ एवं अपनी शिकायतों की स्थिति देख सकते हैं.
सम्मान और स्वागत परंपरा: आगंतुकों का स्वागत पौधा व शॉल भेंट कर किया गया. SHG दीदियों, FPO प्रतिनिधियों एवं क्रेताओं को सम्मानित भी किया गया.
प्रगतिशील किसानों की सहभागिता:
कान्हाचट्टी प्रखंड के बाकचुंबा गांव के प्रगतिशील किसान उदय दांगी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन किसानों को नई दिशा और बेहतर बाजार से जोड़ने का सुनहरा अवसर प्रदान करते हैं.
मादक पदार्थों से दूर, कृषि की ओर प्रेरणा:
जिला परिषद उपाध्यक्ष बृज किशोर तिवारी ने कहा कि यह आयोजन किसानों में नई उम्मीद की किरण लेकर आया है. उन्होंने युवाओं से अपील किया कि वे मादक पदार्थों विशेषकर अफीम की खेती से दूर रहते हुए फूल, फल एवं सब्जियों की खेती की ओर अग्रसर हों. जिला प्रशासन द्वारा लगातार जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
सम्माननीय उपस्थिति:
इस अवसर पर जिशान कमर निदेशक गव्य, गव्य विकास निदेशालय, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग झारखंड राँची, उपायुक्त कीर्तिश्री जी, उपविकास आयुक्त अमरेंद्र कुमार सिन्हा, अपर समाहर्ता अरविंद कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी सिमरिया सन्नी राज, अनुमंडल पदाधिकारी चतरा जहूर आलम समेत अनेक विभागीय पदाधिकारी, कृषक एवं संस्थाएं उपस्थित रहीं.
जिशान कमर ने अपने वक्तव्य में चतरा की टमाटर उत्पादन परंपरा की सराहना करते हुए कहा कि सरकार की योजनाओं के माध्यम से किसानों को तकनीक, प्रशिक्षण और बाजार से जोड़ा जा रहा है, जिससे कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आ रहा है.
“कृषि नवाचार की दिशा में चतरा का एक सशक्त कदम” – उपायुक्त कीर्तिश्री जी
दो दिवसीय “आकांक्षा हाट सह कृषि उद्यम मेला – 2025” के उद्घाटन अवसर पर उपायुक्त चतरा श्रीमती कीर्तिश्री जी ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में उपस्थित सभी किसानों, SHGs, FPOs, राष्ट्रीय क्रेताओं, विशेषज्ञों तथा विभागीय अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि “यह मेला सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि चतरा के किसानों की मेहनत, संकल्प और नवाचार को एक सशक्त मंच प्रदान करने का प्रयास है. कृषि एवं इससे संबंधित सभी सहवर्ती क्षेत्रों को एक छत के नीचे लाकर यह आयोजन 'Vocal for Local' तथा 'One District One Product' जैसी महत्वपूर्ण पहलों को जमीन पर उतारने का माध्यम बनेगा.”उपायुक्त ने बताया कि यह कार्यक्रम Agriculture, Dairy, Animal Husbandry, Fisheries, Horticulture, Land Conservation, JSLPS और NABARD के सहयोग से किसानों, SHGs व FPOs द्वारा किए जा रहे Commercial Farming, Dairy Farming, Food Processing जैसे प्रयासों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास है.
चतरा: कृषि की समृद्ध परंपरा और संभावना
उन्होंने बताया कि चतरा एक कृषि प्रधान जिला है, जहां कुल 3,94,290 हेक्टेयर में से 88,700 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. यहाँ धान, गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन एवं प्रमुख सब्जियों का उत्पादन होता है. सिमरिया, गिद्धौर, ईटखोरी, हंटरगंज, प्रतापपुर आदि प्रखंड सब्जी उत्पादन के हब बन चुके हैं. राज्य सरकार द्वारा फसल राहत योजना, कृषि ऋण माफी योजना, बिरसा ग्राम योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, खाद्य सुरक्षा मिशन जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को सहायता दी जा रही है. खाद, बीज, कीटनाशक एवं यंत्रों की आपूर्ति ब्लॉकचेन तकनीक से की जा रही है, जिससे पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है.
मिट्टी परीक्षण से लेकर राष्ट्रीय प्रशिक्षण तक
उन्होंने यह भी बताया कि Soil Health Card के माध्यम से किसानों को अपनी भूमि की उर्वरता की वैज्ञानिक जानकारी दी जा रही है. वर्तमान वर्ष में 2000 से अधिक मिट्टी परीक्षण पूरे किए जा चुके हैं. आत्मा योजना के अंतर्गत किसानों को बिहार, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के कृषि अनुसंधान संस्थानों में Exposure Visits और Training दिए गए हैं.
गव्य विकास, भूमि संरक्षण और महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस पहल
उन्होंने बताया कि गव्य विकास योजना के अंतर्गत 216 लाभुकों को दुधारू गाय व बोरिंग की सुविधा दी गई है. किसानों को दूध उत्पादन इकाई, मिल्किंग मशीन, वर्मी कम्पोस्ट, पनीर निर्माण यूनिट जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं. पशुओं का नियमित टीकाकरण, चिकित्सा और बेहतर नस्ल का वितरण भी चल रहा है.
भूमि संरक्षण के तहत तालाबों का जीर्णोद्धार, परकोलेशन टैंक, डीप बोरिंग, जल निधि योजना तथा कृषि यंत्रीकरण योजना से सिंचित क्षेत्रफल में व्यापक वृद्धि हुई है. पिछले तीन वर्षों में 125 डीप बोरिंग और 124 परकोलेशन टैंक बनाए गए हैं, जिससे 250 हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई है. 1000 से अधिक किसानों को मिनी ट्रैक्टर व कृषि यंत्र दिए गए हैं.
JSLPS एवं महिला स्व-सहायता समूहों की भूमिका
JSLPS के Palash ब्रांड के तहत महिलाओं द्वारा दाल, सरसों तेल, अचार, हल्दी, बांस उत्पाद, मुर्गी पालन आदि के उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिससे वे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं. उपायुक्त ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बिना ग्रामीण विकास अधूरा है.
डिजिटल पहल: लोक सेतु और जन समाधान पोर्टल का शुभारंभ
उन्होंने बताया कि इस अवसर पर Lok Setu Portal का शुभारंभ किया गया है, जो कृषि, गव्य विकास, मत्स्य, भूमि संरक्षण, पशुपालन, JSLPS आदि विभागों की योजनाओं को एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आमजन के लिए सुलभ बनाएगा. जन समाधान पोर्टल के माध्यम से शिकायतों की डिजिटल निगरानी और समाधान सुनिश्चित होगा.
राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने की पहल
कार्यक्रम में Reliance, Amul, Medha, Tokari Fresh, Suvidha Mart, Farmart जैसी संस्थाओं की उपस्थिति का जिक्र करते हुए उपायुक्त ने कहा "मैं आप सभी राष्ट्रीय ब्रांड्स और विशेषज्ञों से अनुरोध करती हूँ कि हमारे जिले के उत्पादों को बाजार दें, इनसे MoU करें और यदि संभव हो तो चतरा को अपने पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुनें. जिला प्रशासन आपकी हर पहल में साथ देने के लिए तत्पर रहेगा." उन्होंने कहा कि यह मंच केवल विचार-विमर्श का नहीं, बल्कि Backword और Forward Linkage के बीच एक सेतु बनाने का कार्य करेगा."यह प्रयास एक औपचारिकता नहीं, बल्कि धरातल पर परिवर्तन लाने की दिशा में प्रतिबद्ध पहल है. आने वाले वर्षों में हम इसे और सशक्त और व्यापक रूप देंगे."
कृषकों और क्रेताओं के बीच संवाद:
मेले का मुख्य आकर्षण रहा कृषकों और राष्ट्रीय क्रेताओं के बीच सीधा संवाद सत्र, जिसमें किसानों ने अपनी खेती प्रणाली, उत्पाद, बाजार की अपेक्षाएं और संभावनाएं साझा कीं. इससे सीधी बिक्री और दीर्घकालिक साझेदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ.
प्रमुख बिंदु
SHG, FPO, विभागीय योजनाओं और उत्पादों की एकीकृत प्रदर्शनी,जन शिकायत पोर्टल एवं लोक सेतु पोर्टल का शुभारंभ,बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम,मादक पदार्थों के खिलाफ जन-जागरूकता और वैकल्पिक खेती पर बल, प्रगतिशील कृषकों के अनुभव और राष्ट्रीय कंपनियों से संवाद. यह मेला न सिर्फ एक आयोजन, बल्कि कृषि विकास, महिला सशक्तिकरण, नवाचार, और डिजिटल समावेशन की दिशा में चतरा की ऐतिहासिक पहल है.
कार्यक्रम का दूसरा दिन (02 अगस्त) को भी विविध गतिविधियों, संवाद सत्रों और पुरस्कार वितरण के साथ आयोजित होगा.