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रांची/डेस्क: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का इंतजार अब खत्म होने जा रहा हैं. श्रद्धा और आस्था के इस महापर्व का पूरा शेड्यूल जारी कर दिया गया हैं. इस रथ यात्रा में शामिल होना न सिर्फ पुण्य का कार्य माना जाता है बल्कि यह भी कहा गया है कि रथ-यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है वह पुनर्जन्म से मुक्त हो जाता हैं.
जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: 10 दिन का पूरा कार्यक्रम
10 जून, 2025 (मंगलवार): भगवान जगन्नाथ का विशेष स्नान, जिसके बाद वे 15 दिनों के लिए बीमार पड़ गए.
16 जून, 2025 (सोमवार): अनासरा पंचमी में भगवान के अंगों में फुल्लरी तेल की मालिश होगी. ये भगवान के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता हैं.
20 जून, 2025 (शुक्रवार): अनासरा दशमी में भगवान रत्न सिंहासन पर विराजमान होंगे.
21 जून, 2025 (शनिवार): जगन्नाथ जी के इलाज के लिए भगवान के शरीर पर विशेष औषधियां लगेंगी. इसे खलि लागि कहते हैं.
25 जून, 2025 (बुधवार): बलभद्र, सुभद्रा जी और जगन्नाथ जी के विग्रह को सजाया जाएगा.
26 जून, 2025 (गुरुवार): भगवान के नव यौवन दर्शन होंगे. इस दिन रथयात्रा के लिए भगवान से आज्ञा ली जाती हैं.
27 जून, 2025 (शुक्रवार): इस दिन रथ यात्रा शुरू होगी. यात्रा के पहले दिन सबसे प्रसिद्ध रस्म छेरा पहरा होगी. इसमें ओडिशा के महाराज गजपति सोने की झाड़ू से रथों के चारों ओर सफाई करेंगे. फिर शाम को भक्त रथ को खींचना शुरू करेंगे.
1 जुलाई, 2025 (मंगलवार): हेरा पंचमी
4 जुलाई, 2025 (शुक्रवार): बहुड़ा यात्रा यानी भगवान की वापसी यात्रा
5 जुलाई, 2025 (शनिवार): सुना वेश (देवताओं का स्वर्णाभूषण श्रृंगार) व नीलाद्रि विजय (मुख्य मंदिर में वापसी)
क्या है छेरा पहरा की खासियत?
छेरा पहरा रथ यात्रा की सबसे महत्वपूर्ण रस्म हैं. इसमें ओडिशा के गजपति महाराज स्वयं सोने की झाड़ू भगवान के रथों के चारों ओर सफाई करते हैं. यह परंपरा भगवान के सामने राजा की विनम्रता का प्रतीक मानी जाती हैं.