गरीबों के आयुष्मान कार्ड को एटीएम समझने की भूल न करें – डॉ. इरफान अंसारी का सख्त संदेश अस्पतालों को
न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः राजधानी रांची स्थित रेडिसन ब्लू होटल में आज आयोजित AHPI कॉन्क्लेव में राज्यभर के निजी अस्पतालों के प्रतिनिधि, प्रबंधक एवं चिकित्सक शामिल हुए. यह कॉन्क्लेव आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के अंतर्गत सरकारी देय बिलों के लंबित भुगतान से संबंधित मुद्दों को लेकर बुलाया गया था. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने सभी अस्पताल प्रबंधकों की समस्याएं गंभीरता से सुनीं और इस पर सख्त रुख अपनाते हुए विभाग को एक दिन के भीतर लंबित बकाया बिलों के भुगतान का निर्देश जारी किया.
मंत्री डॉ. अंसारी ने कहा कि “मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि गरीबों के आयुष्मान कार्ड को एटीएम समझने की भूल न करें. कुछ अस्पताल कार्ड को स्वाइप कर पूरा पैसा निकाल लेते हैं और मरीज को रिम्स रांची रेफर कर देते हैं, यह पूरी तरह अस्वीकार्य है. गरीबों को उनके हक का इलाज मिलना चाहिए और योजना का पूरा लाभ भी. ऐसा कोई भी व्यवहार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.” मंत्री ने यह भी दोहराया कि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार गरीबों की सरकार है, और उनकी उम्मीदों को टूटने नहीं दिया जाएगा. “हम सरकार की छवि को धूमिल नहीं होने देंगे, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे,” उन्होंने कहा.
आगे मंत्री ने बताया कि 11 फरवरी 2025 से अब तक करीब ₹192 करोड़ का भुगतान लंबित है, जिसे शीघ्र निपटाया जाएगा. पिछले 7 वर्षों में ₹2284 करोड़ का कुल भुगतान किया जा चुका है. 7.3 लाख सरकारी अस्पताल मरीजों के लिए ₹485 करोड़, तथा 14 लाख निजी अस्पताल मरीजों के लिए ₹2000 करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया है. मंत्री ने जानकारी दी कि नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट द्वारा चिन्हित 212 अस्पतालों की जांच के चलते कुछ भुगतान में देरी हुई है. अन्य 350 अस्पतालों के भुगतान में नई पोर्टल प्रणाली के कारण तकनीकी अड़चनें सामने आई हैं, जिन्हें दूर करने के लिए विभाग की टीम लगातार NHA से संपर्क में है. समाधान जल्द सुनिश्चित किया जाएगा.
डॉ. अंसारी ने इस अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को लेकर बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि, “रिम्स-2 का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा रहा है, और अगले दो वर्षों में यह सपना साकार होगा. राज्य के लोगों को आधुनिक और व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं देने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम होगा.” उन्होंने आगे कहा कि “मैं पहले एक डॉक्टर हूं, फिर मंत्री. हमारा पहला कर्तव्य है – सेवा. स्वास्थ्य व्यवस्था को व्यवसाय बनने नहीं दूंगा. जो भी सही दिशा में कार्य करेगा, उसे सरकार का पूर्ण सहयोग मिलेगा. परंतु किसी प्रकार की लापरवाही या गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.”
आईएचपीआई कॉन्क्लेव में संस्थापक अध्यक्ष योगेश गंभीर ने कहा कि सरकार और निजी अस्पतालों के बीच कम्युनिकेशन गैप को भरने के लिए ऐसे कार्यक्रम बेहद अहम हैं. इसका उद्देश्य दोनों पक्षों में समन्वय स्थापित कर अंतिम व्यक्ति तक इलाज पहुंचाना है. आईएचपीआई ने आयुष्मान एग्रीमेंट के तहत 15 दिन में भुगतान या विलंब पर 1% ब्याज जैसी मांगें रखीं. अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि राज्य की नवजात और मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से थोड़ी कम है और हम कई राज्यों से बेहतर हैं. राज्य में सरकारी और निजी क्षेत्र में कुल लगभग 15,500 बेड हैं. सरकार हर साल 2,000–3,000 नए बेड जोड़ने की दिशा में काम कर रही है, ताकि एक लाख बेड का लक्ष्य जल्द पूरा हो सके.
एनआरएचएम के एमडी अबू इमरान ने कहा कि मातृ और शिशु मृत्यु दर को लेकर सरकार गंभीर है. राज्य के 85% लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिल चुका है. झारखंड पहला राज्य है जहां कर्मचारियों को असीमित बीमा कवर दिया जा रहा है. राज्यकर्मी स्वास्थ्य बीमा, मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना और आयुष्मान भारत योजना मिलकर राज्यवासियों को मजबूत स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान कर रही हैं. इस महत्वपूर्ण बैठक में विभागीय सचिव अजय कुमार सिंह, अभियान निदेशक आबू इमरान, डॉ. गिरधर ज्ञानी, डॉ. योगेश गंभीर, डॉ. राजेश कुमार, सैयद अहमद अंसारी, डॉ. सतीश ठाकुर, डॉ. अनंत सिन्हा, डॉ. अजय सिंह, डॉ. शंभू, डॉ. प्रदीप सिंह, मंजूर अंसारी, अनवर अहमद अंसारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं चिकित्सकगण मौजूद रहे.