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रांची/डेस्कः हर दिन भारत में ना जाने कितने फिल्में बनते है और कई प्लेटफॉम पर रिलीज भी होते है. बात यश राज फिल्म प्रोडक्सन हाउस की करें या सलमान खान के प्रोडक्शन हाउस या फिर धर्मा प्रोडक्शन की. इनके रिलीज होने वाली फिल्मों को कई बार विरोध का सामना करना पड़ा है और साथ ही बैन का भी सामना करना पड़ा है. लेकिन फिल्मों पर बैन लगाने का ये सिलसिला आज से नहीं बल्की पहले से चलता आ रहा है.
बता दें, भारत में फिल्म की शुरूआत 19वीं सदी से शुरू हुई थी. शुरूआती दौर में फिल्में बिना आवाज की बनती थी. ज्यादातर ब्रिटिश राज के दौरान फिल्में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विरोध या गुस्सा जाहिर करने के मकसद से बनाई जाती थी और भारतीय लोगों के मन में आजादी को लेकर एकजुट करने के लिए भी उपयोग किया जाता है. इनपर कई बार ब्रिटिश सरकार की तरफ से काफी विरोध किया जाता था. इस तरह के फिल्मों को रोकने के लिए ना जाने कितने हाथकंडे अपनाते थे.
पहली भारतीय फिल्म जिसे ब्रिटिश सरकार ने किया था बैन
ऐसी ही एक फिल्म थी 'भक्त विदुर'. जो साल 1921 में आई थी इस फिल्म को मुंबई में बनाई गई थी. कांजी भाई राठौड़ के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म पहली ऐसी भारतीय फिल्म थी जिसे ब्रिटिश सरकार ने बैन किया था. यह फिल्म 'भक्त विदुर' महाभारत महाकाव्य की कहानी पर आधारित थी. इसकी कहानी धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई और कौरवों और पांडवों के बीच संघर्ष और उसके बाद हुए युद्ध के इर्द-गिर्द घूमती है.
इस वजह से बैन हुई थी फिल्म
इस फिल्म के रिलीज होने पर सेंसरशिप के सवाल पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. जिसमें ज्ञान से भरपूर विदुर का किरदार गांधी जी के अवतार के रूप में नजर आया था. मद्रास जैसे कुछ क्षेत्रों में इस फिल्म को बैन कर दिया गया था. सेंसर बोर्ड ने फिल्म देखने के बाद अनाउंसमेंट की "हम जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं...यह विदुर नहीं, गांधीजी हैं...हम इसकी अनुमति नहीं देंगे." बता दें कि विदुर का लुक गांधीजी से मिलता झुलता था. इसलिए ब्रिटिश सरकार ने इसे तुरंत बैन करवा दिया था.
आपको बता दें, उन दिनों चल रहे स्वतंत्रता संग्राम को दिखाने और जनता के बीच राजनीतिक चेतना जगाने के लिए अक्सर पुरानी कथाओं का इस्तेमाल कर फिल्मों के माध्यम से लोगों तक सूचनाएं पहुंचाए जाते थे. आज के समय फिल्मों का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. लेकिन आज भी सेंसरबोर्ड काफी सक्रिय है. फिल्म बनाते समय उनको सेंसर बोर्ड के द्वार बनायें गए नियमों को फॉलों करना पड़ता है. फिल्म पूरी बन जाने के बाद फिर सेंसर बोर्ड उसकी जांच करती है आर सर्टिफिकेसन भी देती है. तब जाकर फिल्म को रिलीज किया जाता है.