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रांची/डेस्क: पाकिस्तान इस समय एक गहरे जल संकट का सामना कर रहा है, और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले जल में भारी कटौती है. इस स्थिति के कारण पाकिस्तान के तीन प्रमुख इलाकों में नदियों का जल प्रवाह में लगातार गिरावट आई है.
भारत ने अस्थायी रूप से रोक दी सिंधु जल संधि
भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था, जिसके बाद से नदियों के जल प्रवाह पर भारतीय नियंत्रण बढ़ गया है. पाकिस्तान इस जल संकट से उबरने की उम्मीद अब सिर्फ मानसून से लगाए बैठा है.
जल प्रवाह में भारी गिरावट के आंकड़े
पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 20 जून तक देश में नदियों का जल प्रवाह पिछले साल की समान तारीख के मुकाबले लगभग 20% घट चुका है. पंजाब प्रांत में 20 जून को नदियों का जल प्रवाह 1,10,500 क्यूसेक था, जो कि पिछले साल 1,30,800 क्यूसेक था, यानी इस वर्ष 20% की कमी आई है.
सिंध प्रांत में भी पानी की भारी कमी देखी जा रही है, जहां 20 जून को जल प्रवाह घटकर 1,33,000 क्यूसेक रह गया, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 1,70,000 क्यूसेक था. इसी तरह, खैबर पख्तूनख्वा में भी जल प्रवाह 2,600 क्यूसेक तक गिर चुका है, जबकि पिछले साल यह 2,900 क्यूसेक था.
खरीफ फसलों पर पड़ सकता है गंभीर असर
पाकिस्तान के लिए यह जल संकट खरीफ फसलों के लिहाज से अत्यंत गंभीर है, क्योंकि जून से सितंबर तक का समय फसलों के लिए बेहद अहम होता है. पाकिस्तान सरकार ने पहले ही इस सीजन में 21% पानी की कमी की आशंका जताई थी, और अब ताजा आंकड़े इस संकट को और गहरा कर रहे हैं.
भारत की योजनाओं से स्थिति और गंभीर हो सकती है
भारत सिंधु और चिनाब नदियों के पानी को ब्यास नदी से जोड़ने और फिर उसे गंगासागर तक पहुंचाने के लिए 160 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इस परियोजना के चलते पाकिस्तान के लिए आने वाले समय में जल संकट और बढ़ सकता है.
पाकिस्तान की चिंता और भारत का कड़ा रुख
पिछले महीने पाकिस्तान ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि "भारत की ओर से चिनाब नदी में पानी की आपूर्ति में कमी ने संकट को और गहरा दिया है, जिसका सीधा असर खरीफ सीजन में पानी की उपलब्धता पर पड़ेगा." पाकिस्तान ने अब तक इस फैसले को लेकर भारत को चार पत्र भेजे हैं और सिंधु जल संधि को फिर से बहाल करने की अपील की है, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल यह संधि स्थगित रहेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 मई को गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “क्या भारत के लोगों को पानी पर उनका अधिकार नहीं मिलना चाहिए? हमने सिर्फ संधि को स्थगित रखा है, और पाकिस्तान को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. हम ने वहां कुछ बदलाव किए हैं, जिससे सफाई हो रही है और गंदगी हटाई जा रही है.”
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि का मुद्दा एक बार फिर महत्वपूर्ण बनता जा रहा है, और पाकिस्तान को जल संकट से उबरने के लिए आने वाले मानसून पर ही उम्मीदें हैं. हालांकि, भारत द्वारा नदियों के जल प्रवाह पर बढ़ते नियंत्रण के कारण यह स्थिति पाकिस्तान के लिए और भी जटिल हो सकती है.