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रांची/डेस्क: इस दुनिया में शराब पीने के कई लोग शौक़ीन होते है. महफ़िल में जब लोग शराब पीते है, तब वह सारा इंतजाम कर के बैठते है. महफ़िल अगर जम गई तब शराब हो या चखना कुछ भी कम नहीं होनी चाहिए. आपने यह बात तो सुनी ही होगी ." पीयो तो हद्द करदो वरना मामला रद्द कर दो", ऐसा इसलिए कहा गया है कि अगर शराब पीने बैठे तो ताकि सब चीजों का इंतजान सही से रहे और लोग महफ़िल में जमकर शराब पिए. लेकिन शराब पीने समय आईस क्यूब नहीं रहे तो महफ़िल अधूरी सी रह जाती है. आईस क्यूबके डालकर जाम छलकाने का अलग ही मज़ा है. अभी के समय से तो आईस क्यूब आराम से और बड़ी आसानी से मिल जाती है. यह शराब को ठंडा रखने में अच्छी होती है. लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा कि जब फ्रिज नहीं थे तब के जमाने में लोग शराब को ठंडा करने के लिए करा डालते थे. आइये आपको इस बारे में जानकारी देते है.
शराब का सेवन दुनिया के हर हिस्से में सदियों से होता आ रहा है. लोग अलग-अलग समय काल में अलग-अलग तरीके के शराब का सेवन करते थे. आज के समय की बात करें तो शराब पीते समय लोग बड़े मजे से ग्लास में आइस क्यूब डालते है. लेकिन पहले के जमाने में ऐसा नहीं होता था. अगर बात करें पहले जमाने की मतलब कब फ्रिज नहीं थे, आइस क्यूब और बर्फ नहीं मिलती थी. तब शराब को ठंडा करने के लिए एक ख़ास तरीका अपनाया जाता था. आइये आपको बताते है. वाइकिंग योद्धा 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच शराब में नदी के पत्थरों को डालते थे. जी हां आपने सही सुना.
नदी के यह ठंडे पत्थर ना केवल शराब को ठंडा रखते थे. इसके अलावा उसकी कड़वाहट भी दूर करते थे. अभी अगर शराब में बर्फ को डाला जाता है तो वह बाद में पानी बन जाती है. इससे शराब का स्वाद भी बदल जाता है. लेकी पाहे के जमाने में नदी के पत्थरों से ये समस्या नहीं आती थी. इसी तरीके को यानी नदी के पत्थर को शराब को ठंडा करने के तरीके को ही ."ऑन द रॉक्स" कहा गया. शराब में बर्फ मिलाने का चलन आधुनिक समय में अमेरिकी माना गया है. यह तरीया अमेरिका से निकलकर पूरे दुनिया में फैल गया.