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रांची/डेस्क: आज क्रिकेट खिलाड़ी सालों भर T-20, ODI और Test मैचों में व्यस्त रहते हैं. क्रिकेट मैचों की बढ़ती संख्या और इनमें लगातार खेलने से खिलाड़ियों के सामने फिटनेस की समस्या उत्पन्न हो गयी है. कई खिलाड़ी टीम में बने रहने के लिए अपनी इंजुरी को छिपाते भी हैं. जिसके कारण उनकी समस्या और भी बढ़ जाती है. क्रिकेटरों की इंजुरी की लगातार बढ़ समस्या से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) भी खासा परेशान है. इसलिए उसने 2025-26 के घरेलू सत्र के लिए घायल खिलाड़ियों को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किया है.
इस बदलाव के अनुसार, प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैचों में चोटिल खिलाड़ी के बदले उसी तरह का प्रतिस्थापन किया जायेगा. हालांकि मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट के दौरान ऋषभ पंत के पैर में फ्रैक्चर होने के बाद इसकी शुरुआत कर दी है. बीसीसीआई का यह नया नियम, चोट प्रतिस्थापन कहा जा रहा है.
चोट प्रतिस्थापन की बीसीसीआई ने व्याख्या की है. उसके अनुसार, फ्रैक्चर, डिस्लोकेशन या गहरे घाव शामिल इस नियम के अन्तर्गत आयेंगे. ऐसी स्थिति में खिलाड़ी के समान ही रिप्लेसमेंट किया जायेगा. बीसीसीआई का यह नियम केवल रणजी ट्रॉफी और सीके नायडू ट्रॉफी जैसे बहु-दिवसीय टूर्नामेंटों में लागू होगा. सीमित ओवरों के सफेद गेंद से खेले जाने वाले टूर्नामेंट इससे बाहर होंगे.
बीसीसीआई का दिशानिर्देश कहता है कि मैच के दौरान जब यह स्थिति आयोगी तब अम्पायर, मैच रेफरी और मेडिकल स्टाफ से परामर्श के बाद ही चोटिल खिलाड़ियों का प्रतिस्थापन होगा. इस परामर्श के दौरान यह तय किया जायेगा कि चोट प्रतिस्थापन योग्य है या नहीं. यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह रिप्लेसमेंट टॉस के समय नामित और अनुशंसित खिलाड़ियों में से होगा, विकेटकीपर के चोटिल होने के केस में ऐसा नहीं होगा, क्योंकि यह आवश्यक नहीं है कि टीम में एक से ज्यादा विकेटकीपर हों ही.
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