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रांची/डेस्क: सुप्रीम कौर्ट ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली हेट स्पीच मामले में गंभीर चिंता जताई है. इस केस में वजाहत खान द्वारा दर्ज एफआईआर (FIR)को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सोशल मीडिया पर लोगों के बर्ताव पर भी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि आज कल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कोई भी कुछ भी लिख देता है कुछ भी बोल देता है, ऐसे में लोगों को खुद में संयम बरतना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए भी गाइडलाइन्स जरुरी हैं.
नागरिक अपनी स्वतंत्रता का दुरूपयोग कर रहे
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि सोशल मीडिया पर उचित प्रतिबंध सही है, लेकिन नागरिक अपनी स्वतंत्रता का दुरूपयोग कर रहे हैं. हम सेंसरशिप की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन भाईचारे, धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिगत गरिमा के हित में हमें याचिकाकर्ता के मामले से आगे जाकर भी इस पर विचार करना होगा. सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात रखना एक बात है, लेकिन उसे किसी खास तरीके से कहना सही नहीं हैं. यह बात अदालत में कभी-कभी नफरत भरे भाषण के संदर्भ में नहीं आती, लेकिन मसला बहुत दूर तक निकल जाता हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की?
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने यह भी कहा कि नागरिकों के बीच आपसी भाईचारा होना चाहिए, तभी इस तरह की सारी नफरत कम होगी. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ऐसे कई और भी अपराधिक मामले है, जिन पर पुलिस मामलों के पीछे पड़ने की जगह इस बात पर ध्यान दे सकती है कि, आखिर इसका समाधान क्या है? ऐसा हम राज्य के नजरिए से नही,बल्कि नागरिकों के नजरिए से जानना छह रहे है, क्योंकि लगातार इस तरह की घटनाएं होती जा रही हैं.
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