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रांची/डेस्क:- डॉ राममनोहर लोहिया देश ही नहीं पूरी दुनिया के एक जाने माने राजनीतिक चिंतन के रुप में विख्यात है. उसने समाज में व्याप्त तमाम तरह के समाजिक विषमता की वकालत करते हुए कम किया. उनका कहना था कि कोई भी देश पूर्ण रुप से कल्याणकारी तभी साबित हो सकता जब हाशिेए पर पड़े लोगों के बारे में साकारात्मक रुप से बात की जाए. सामाजिक न्ाय की वकालत करते हुए लोहिया ने पिछड़े वर्ग, आदिवासी, दलित, व महिलाओं को लेकर काफी वकालत की.
आदिवासियों को लेकर ये थी राय
भारत जब आजाद हुआ तब लोगों को समान अवसर नहीं मिल पाया था. कई बड़ी आबादी वाले लोगों को विकास कार्ोयं से दूर रखा गया. आदिवासी की विकास के लिए उसने देश के आदिवासी को एकजूट होने की बात कही. लोहिया ने कहा था कि देश के आदिवासियों को एकजूट हो जाना चाहिए.
आदिवासी राज को लेकर झारखंड में की थी भविष्यवाणी
राममनोहर लोहिा 1962 में जब सासंद थे उस समय झारखंड की अलग मांग उठ चुकी थी और लोहिया ने अलग झारखंड बनने की भी मांग की थी. उन्होने कहा था कि जिन लोगों की देश की राजनीति पर पकड़ है वे लोग कभी अलग राज् नहीं बनने देंगे यहां तक की मेरे पार्टी के लोग भी नहीं. उन्होने ये भी कहा कि कि अलग राज्य बनने की ओर अगर झारखंड अग्रसर हुआ तो मैं इसका समर्थन करुंगा. लोहिया ने कहा था कि आज नहीं 15-20 साल बाद जब भी झारखंड ेक अलग राज् बनेगा तो यहां के लिए संघर्ष करन वाले लोगों को उनका मेहनताना जरुर मिलेगा. उनकी बात आखिरकार सही साबित हुई, 2000 में झारखंड अलग हुआ तो 2019 में हेमंत के नेतृत्व में सरकार बनी. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राममनोहर लोहिया कितने दूरदर्शिता रखते थे. डॉ राममनोहर लोहिया भारत क ेराजनीति के एक बहुत ही बेहतरीन वक्ता रह चुके हैं. जब वे सदन में बहस के लिए खड़े होते थे तो उनके सामने अच्छे अच्छे लोग टिक नहीं पाते थे. झारखंड के हित व आदिवासी के हित से जुड़े मुद्दों को हर समय उन्होने सदन में पूरजोर तरीके से उठाया. सदन में हमेशा से हिंदी में बहस करन ेकी वकालत करते हुए लालबहादुर शास्त्री को भी मजबूर कर दिया.