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रांची/डेस्कः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह दृढ़ विश्वास है कि नीतियों का निर्धारण और उनका प्रभावी क्रियान्वयन केवल राजधानी तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसकी जड़ें गांवों में हों. इसी विजन को मूर्त रूप देने के लिए राज्य का स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है. मुख्यमंत्री की इस जन-केंद्रित सोच के अनुरूप, अब राज्यस्तरीय पदाधिकारी स्वयं दूर-दराज के गांवों में जाकर शिक्षा योजनाओं और कार्यक्रमों की जमीनी हकीकत का अनुश्रवण करेंगे. इस क्रम में 14 मई से 20 मई, 2025 तक प्रस्तावित राज्यस्तरीय विद्यालय अनुश्रवण के लिए गठित 61 सदस्यीय टीम को आज विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया. प्रशिक्षण कार्यशाला की अध्यक्षता झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने किया. टीमों को संबोधित करते हुए निदेशक ने "सुबह नाश्ते से पहले निरीक्षण" का मंत्र दिया. निदेशक शशि रंजन ने कहा कि गर्मियों के कारण स्कूलों का समय सुबह साढ़े ग्यारह बजे तक ही है. ऐसे में बच्चो से बात कर स्कूल की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए सभी टीमें अहले सुबह ही फील्ड में भ्रमण के लिए निकल जाएं. केवल शिक्षक और स्टाफ के भरोसे निरिक्षण प्रतिवेदन जमा ना करे. बच्चो की प्रतिक्रिया भी ले.
निदेशक शशि रंजन ने कहा कि दो-तीन साल में लगातार जिस स्कूल में आउट ऑफ़ स्कूल बच्चो का आंकड़ा नहीं सुधर रहा है, वहां आवश्यक रूप से जाए. रिपोर्ट ऐसा बनाएं जिसके आधार पर भविष्य में योजनाए बनाई जा सके. स्कूल में शिशु पंजी सर्वे की गहनता से जांच करे. केवल टेबल वर्क ना करे, फील्ड में जा रहे है तो गंभीरता से हर मानक की जांच करे. यु-डायस के डाटा से स्कूल के डाटा का मिलान करे. बच्चे अगर नहीं आ रहे है, तो उसकी जड़ में जाए, कारण तलाशे. केवल 'हां-ना' फॉर्मेट में रिपोर्ट जमा ना करे. निदेशक ने कहा कि सीआरपी-बीआरपी काम नहीं कर रहा है, तो उसकी रिपोर्ट दे. उचित कार्रवाई करेंगे. उन्होंने टीमों के पदाधिकारियों को भ्रमण के दौरान आचरण में गंभीरता लाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि अगर रांची से निरिक्षण के लिए विभिन्न जिलों में जा रहे है तो व्यवहार में गंभीरता दिखाएं. प्रयोगशालाओं की उपयोगिता जांचे. विद्यालयों में इंस्ट्रक्टर है या नहीं. एमडीएम का मेन्यू देखिये, पोषक भोजन बच्चो को मिल रहा है या नहीं, इसकी पूछताछ बच्चो से करे. दूर दराज के स्कूलों में जाएं, वहां शिक्षा की गुणवत्ता की समीक्षा करे.
ऑन द स्पॉट स्कूल का चयन करे
झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक ने कहा कि बीआरपी-सीआरपी के कहने या उनके बताये स्कूलों में ना जाए. स्वयं से स्कूल चिन्हित करे और स्कूलों का चयन ऑन द स्पॉट करे. इससे जमीनी सच्चाई का पता लगाया जा सकता है. बीआरपी सीआरपी की बातों में ना आएं. उन्होंने कहा ऐसी कोई गतिविधि ना करे, जिससे फील्ड भ्रमण और राज्यस्तरीय अनुश्रवण की गरिमा पर सवाल उठे.
जीरो ड्राप आउट विद्यालयों का अनुश्रवण जरूर करे
बैठक के दौरान पदाधिकारियों को ऐसे विद्यालयों का निरिक्षण करने का निर्देश दिया गया है, जिन्होंने जीरो ड्राप आउट का दावा किया है. पदाधिकारियों को ऐसे विद्यालयों में जाकर जीरो ड्राप आउट की जमीनी हकीकत जानने का निर्देश दिया गया है. अगर विद्यालय का दावा सही है, तो उस विद्यालय को प्रोत्साहित किया जाएगा और दावा भ्रामक पाए जाने पर स्कूल के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.
स्कूलों में 75% उपस्थिति अनिवार्य
स्कूल निरिक्षण के दिन विद्यालयों में कुल नामांकित बच्चो में से कम से कम 75% फीसदी बच्चो की उपस्थिति अनिवार्य है. बच्चो की उपस्थिति पंजी की भी जांच की जाएगी. साथ ही विद्यालयों में 'प्रयास' कार्यक्रम के क्रियान्वयन की भी समीक्षा की जाएगी.. स्कूलों में जीरो एनरोलमेंट की जांच का भी निर्देश दिया गया है.
बेलको हाई स्कूल, गोपालडीह की होगी जांच
गिरिडीह के बेलको हाई स्कूल, गोपालडीह के द्वारा स्टूडेंट माइग्रेशन का भ्रामक डाटा राज्य को उपलब्ध कराया गया है. इस संबंध में बैठक के दौरान स्कूल का भ्रमण कर जांच का निर्देश दिया गया है. समीक्षा के दौरान पाया गया कि स्कूल ने यु-डायस पोर्टल पर स्टूडेंट माइग्रेशन के संबंध में अतार्किक और भ्रामक डाटा अपलोड किया है. गिरिडीह की टीम को स्कूल का औचक निरिक्षण कर जमीनी सच्चाई पता लगाने का निर्देश दिया गया है.
27 मई तक देनी होगी रिपोर्ट
राज्यस्तरीय अनुश्रवण दल के द्वारा दिनांक 27 मई, 2025 तक झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव को निरिक्षण प्रतिवेदन दिया जाना है. इसे दृष्टिपथ रखते हुए सभी टीमों को निर्धारित अवधि के दौरान स्कूलों का भ्रमण कर लेने का निर्देश दिया गया है.