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रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम की धारा 89 के बाबत दिये गये रेवेन्यू ऑफिसर के फैसले को रीविजन केस मामले को जोड़ दिया है. जस्टिस राजेश शंकर ने दिलीप महतो, कृष्णा महतो,बालेश्वर महतो और लालधरी महतो बनाम राज्य सरकार के मामले पर याचिकाकर्ता से रेवेन्यू अधिकारी हजारीबाग के यहां अपील दायर करने का निर्देश दिया है. अदालत ने रिट याचिका 4335 ऑफ 2021 को इस बिला पर खारिज कर दिया.
जानकारी के अनुसार 14 वर्ष पहले रेवेन्यू ऑफिसर हजारीबाग की तरफ से सीएनटी एक्ट की धारा 89 के अंतर्गत 1434 ऑफ 2020 रीविजन केस के आदेश को चुनौती देते हुए उसे रद्द करने की मांग की गयी थी. इसमें यह दलील दी गयी थी कि मामले पर छोटे लाल महतो, बोधी महतो, जयनाथ महतो, खूशी लाल महतो, पोखलाल महतो, निर्मल महतो, बिरबल महतो, लोकनाथ महतो और विजय महतो ने गलत अवधारणा के आधार पर रेवेन्यू अधिकारी से आदेश पारित करा लिया था. इसी आधार पर 14 वर्ष पहले दस्तावेजों में फेरबदल करा कर उसकी पब्लिशिंग भी करा ली थी. याचिकाकर्ता के अनुसार राज्य सरकार ने ऐसे रिविजन मामले का निबटारा 12 महीने में करने का नीतिगत फैसला भी लिया है. पर अब तक इस मामले में यथोचित कार्रवाई नहीं हो रही है और हमारे मामले में 14 वर्ष तक कार्रवाई ही नहीं हुई. अदालत ने कहा कि चुंकी लिमिटेशन का मैटर रेवेन्यू आफिसर के पास ही जाता है. ऑपोजिट पार्टियों की तरफ से कहा गया कि वैधानिक प्रावधानों के अनुसार 14 वर्ष पहले की इंट्री और ड्राफ्ट रिकार्ड के रख-रखाव में काफी दिक्कतें होती हैं, इसलिए याचिका डिस्पोज कर दिया जाये.