24 करोड़ से अधिक की लागत से बनी पुरानी जलापूर्ति व्यवस्था के बार-बार फेल होने पर हो रही हैं दिक्कतें
दीपक, न्यूज11 भारत
देवघर और मधुपुर इलाके में गरमी में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए अब पुनासी जलाशय से पानी लाया जायेगा. पिछले एक दशक से अधिक समय से अजय नदी पर आधारित 24 करोड़ से अधिक की जलापूर्ति क्रियान्वित हो रही है. पेयजल औऱ स्वच्छता विभाग की तरफ से अजय नदी से मधुपुर और देवघर शहरी जलापूर्ति को लेकर योजना बनायी गयी थी. इसमें अजय नदी की तलहटी में 55 डीप बोरवेल किये गये थे. इस बोरवेल से पानी इकट्ठा कर नंदन पहाड़ के संप और पानी की टंकी तक पानी पहुंचाया जाता था. इस योजना के गरमी में हमेशा फेल होने की शिकायतें मिलती थी, क्योंकि अजय नदी पर स्थापित किये गये बोरवेल फेल हो जाते थे.
हैदराबाद की कंपनी आइवीआरसीएल को देवघर और मधुपुर शहरी जलापूर्ति योजना का कार्यादेश मिला था. उस समय योजना के क्रियान्वयन में काफी दिक्कतें आयी थी. देवघर बाबा मंदिर परिसर के आसपास के तंग गलियों में पाइपलाइन बिछाने को लेकर काफी बावेला मचा था. अब तो जिले के सहायक नगर आयुक्त शैलेंद्र लाल भी गरमी के दिन पेयजल की समस्या की बातें कर रहे हैं. वैसे भी गरमी के दिनों में नगर निगम के टैंकरों से ही देवघर शहर के प्रमुख हिस्सों तक पानी पहुंचाने के अलावा होटलों, रेस्ट हाउस, सरकारी कार्यालयों और मुहल्लों तक पानी पहुंचाया जाता रहा है.
देवघर के कई हिस्सों में सुखाड़ जैसी स्थिति
2015 में पीरपैंती से पाइपलाइन के जरिये गंगा नदी से पानी लाने की योजना बनी थी. इस पानी का भंडारन अजय बराज में करना था. इस योजना को सरकार की तरफ से धरातल पर नहीं उतारा जा सका. क्योंकि इसकी लागत छह सौ करोड़ रुपये से अधिक थी. अब कहा जा रहा है कि 45 किलोमीटर दूर पुनासी और बुढ़ई जलाशय से देवघर शहर की जरूरतें पूरी की जायेंगी. सरकार का कहना है कि अजय बराज के कुल भंडारन की क्षमता 340 मिलियन क्युबिक मीटर (एमसीएम) है. यहां से देवघर, कैरो, मधुपुर को 37 एमसीएम पानी जलापूर्ति के लिए दिया जाता है, जो कम पड़ रहा है.
सरकार का दावा है कि पुनासी से पानी लाना ज्यादा आसान होगी. क्योंकि देवघर के कई हिस्सों में सुखाड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. जिसकी वजह से नंदन पहाड़ की टंकी तक पानी नहीं पहुंच पाता है. अजय नदी में भी गरमी के दिनों में पानी पूरी तरह सूख जाती है. मानसुन का पानी अजय नदी में ज्यादा दिन तक नहीं रह पाता है. इससे जलापूर्ति योजना सबसे अधिक प्रभावित हो रही है. सरकार की तरफ से पुनासी डैम से पानी लाने के लिए गरमी के पहले और मानसून के बाद की स्थिति का आकलन भी कराया गया है.