न्यूज 11 भारत
रांचीः उर्दू के प्रसिद्ध साहित्यकार गोपीचंद नारंग का 91 साल की उम्र में अमेरिका में निधन हो गया. नारंग का जन्म 11 फरवरी 1931 में बलूचिस्तान में हुआ था. 57 किताबों के रचयिता गोपीचंद नारंग को पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं में उर्दू अफसाना 'रवायात और मसायल', इकबाल का फन, अमीर खुसरो का 'हिंदवी कलाम', जदीदियत के बाद शामिल हैं.
सेंट स्टीफन कॉलेज से किया था ग्रेजुएशन
गोपीचंद नारंग का हिंदी, उर्दू, बलोची पश्तो सहित भारतीय उपमहाद्वीप की छह भाषाओं पर अधिकार था. नारंग ने उर्दू के आलावा हिंदी और अंग्रेजी में भी कई किताबें लिखी हैं. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की. इसके बाद यहां शिक्षक भी रहे. नारंग को पद्मभूषण के अलावा पाकिस्तान के तीसरे सर्वोच्च अलंकरण 'सितार ए इम्तियाज' से भी विभूषित किया जा चुका है. इसके अलावे साल 1985 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने प्रो. गोपी चंद नारंग को गालिब पुरस्कार से सम्मानित किया था. वहीं 1990 में देश का तत्कालीन राष्ट्रपति वेंकटरमन ने प्रो. गोपी चंद नारंग को पद्म श्री से नवाजा. इसके बाद साल 2012 में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने प्रो. गोपीचंद को मूर्ति देवी पुरस्कार से सम्मानित किया था.