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रांची/डेस्क: रिश्तों की बदलती परिभाषाओं के बीच एक नया और खतरनाक ट्रेंड सामने आ रहा है, जिसे 'Ghostlighting' कहा जा रहा हैं.आज के डिजिटल दौर में जहां रिलेशनशिप बनना और टूटना बेहद आम हो गया हैं. वहीं कुछ ट्रेंड ऐसे भी हैं जो मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं. घोस्टलाइटिंग उन्हीं में से एक है, जो हाल ही में सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में हैं.
इस ट्रेंड का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘घोस्टिंग’ और ‘गैसलाइटिंग’. पहले ‘गैसलाइटिंग’ ने लोगों को झकझोरा था, जिसमें एक पार्टनर दूसरे को मेंटली अब्यूज करता है, उसकी सोच और भावनाओं को गलत साबित करता हैं. अब आया है 'घोस्टलाइटिंग', जिसमें दोहरी चोट दी जाती है- पहले इंसान बिना कुछ कहे गायब हो जाता है और फिर लौटकर सारी गलती भी उसी पर थोप देता है, जिसे वो छोड़ गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड मानसिक रूप से बेहद थकाने वाला होता हैं. पीड़ित व्यक्ति खुद को लेकर भ्रम में पड़ जाता है, आत्मविश्वास खोने लगता है और उसे लगता है कि गलती उसी की थी.
आखिर क्या होता है Ghostlighting?
इस ट्रेंड में व्यक्ति पहले अचानक बिना कोई बात किए, रिश्ता तोड़ देता है, मैसेज का जवाब नहीं देता, कॉल इग्नोर करता है और सभी संपर्क खत्म कर देता हैं. फिर जब सामने वाला इंसान इस सदमे से उबरने की कोशिश करता है, तभी 'घोस्टलाइटर' वापस लौटता है और ऐसे बर्ताव करता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं. कई बार तो वो पीड़ित को ही दोषी ठहराने लगता है कि उसकी ही वजह से ऐसा हुआ.
क्यों खतरनाक है ये ट्रेंड?
घोस्टलाइटिंग इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि यह पीड़ित को मानसिक रूप से भ्रमित कर देता हैं. वह अपने फैसलों, अपनी भावनाओं और अपने आत्मसम्मान पर सवाल उठाने लगता हैं. एक इंसान का यूं बार-बार आना और जाना रिश्ते में असुरक्षा, अस्थिरता और गहरा अविश्वास पैदा कर देता हैं.
कैसे पहचानें घोस्टलाइटिंग के संकेत?
- सामने वाला व्यक्ति अचानक गायब हो जाए
- आपके मैसेज और कॉल का जवाब न दे
- सोशल मीडिया पर एक्टिव रहे लेकिन आपसे दूरी बनाए
- जब आप जवाब मांगें तो आपको ही गलत ठहराए
- बार-बार रिश्ते में उलझाव और असमंजस की स्थिति पैदा करे