शहबाज की अक्ल आ चुकी ठिकाने, अब मो. युनूस की बारी
न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: लग रहा है बांग्लादेश में 'पद्मा' का नामोनिशान मिटने वाला है. गंगा नदी बांग्लादेश से भी हो कर गुजरती है. वहां उसे 'पद्मा' के नाम से जानते हैं. लेकिन अब यह 'सूखने' वाली है. क्योंकि... बांग्लादेश में गंगा नदी का पानी न जाये, इसकी योजना तैयार कर ली है.
भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता न सिर्फ स्थगित कर दिया है, बल्कि उसे हमेशा के लिए खत्म करने का उपाय कर लिया है. सिंधु नदी का जल अब पाकिस्तान नहीं जा रहा है, इससे वह त्राहिमाम करने लगा है. पाकिस्तान मिन्नते कर रहा है, धमकियां भी दे रहा है, लेकिन भारत ने पाकिस्तान की आवाज को अनसुना कर दिया है.
पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने लगाने के बाद भारत ने अब बांग्लादेश की ओर अपनी निगाहें कर ली हैं. भारत अब बांग्लादेश को गंगा नदी का पानी रोकने की दिशा में बढ़ रहा है. गंगा जल संधि के अनुसार बांग्लादेश को पवित्र नदी गंगा का पानी लगातार मिल रहा है, लेकिन भारत अब समझ चुका है कि बांग्लादेश गंगाजल के लायक नहीं है, इसलिए उसकी दिशा बदलने कि 'दिशा' में काम कर रहा है.
वे कारण जिसके चलते भारत रोकेगा बांग्लादेश का पानी
भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जो ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, उससे पहले ही इसने पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने लगाने के लिए सिंधु नदी के जल को पड़ोसी देश जाने से रोक दिया था. इसके बाद जब पाकिस्तान में त्राहिमाम मच गया तब भारत ने जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकी और देश की बढ़ती जरूरतों का हवाला देकर पानी रोके जाने के जायज ठहराया था. अब यही वजहें बांग्लादेश का पानी रोकने का कारण बनेंगी. भारत और बांग्लादेश के बीच 1995 में गंगा जल को लेकर संधि हुई है. भारत अब इसमें संशोधन करने का मूड बना चुका है. भारत का मानना है कि देश में सिर्फ कृषि ही नहीं, विद्युत आवश्यकताओं और जल परिवहन के लिए गंगा नदी में उचित मात्रा में पानी रहना आवश्यक है. बांग्लादेश में पानी बह जाने की स्थिति में गर्मियों के मौसम में जलस्तर में काफी गिरावट आ जाती है. जब इसमें सुधार होगा तो भारत की आवश्यकताएं अच्छे से पूरी हो सकेंगीं. वैसे भी 1996 में की गयी संधि 30 सालों के लिए की गयी थी, जो 2026 में समाप्त होने जा रही है.