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रांची/डेस्क: अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान और इजराइल युद्ध से 'फारिग' हो चुके हैं. इसलिए उन्होंने एक बार फिर से अपने 'व्यापार युद्ध' पर ध्यान देने शुरू कर दिया है. अमेरिका की पिछली एक सदी के इतिहास पर गौर करें तो उसने युद्ध और व्यापार में ही अपनी धाक बनाये रखी और आज भी बनाये हुए है. भारत और पाकिस्तान संघर्ष में अपनी टांग अड़ाने के बाद अब ईरान और इजराइल में युद्ध विराम का श्रेय लेने के बाद अमेरिका ने फिर से टैरिफ वार पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. ताजा मामला तो भारत से जुड़ा है. व्हाइट हाउस ने कहा कि जल्द ही भारत के साथ एक बड़ा व्यापारिक समझौता होने वाला है. उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच 9 जुलाई को व्यापारिक समझौता हो सकता है.
बता दें कि हाल में लम्बे जद्दोजहद के बाद चीन के साथ अपना व्यापारिक समझौता पूरा किया है. अमेरिका ने चीन के साथ जो व्यापारिक समझौता तय किया है उससे चीन अब संतुष्ट है, क्योंकि अमेरिका ने अपनी जिद से हटते हुए टैरिफ दर को काफी कम कर दिया है. इस टैरिफ दर पर व्यापार करने में चीन और अमेरिका दोनों को ही कोई दिक्कत अब नहीं है.
चीन से समझौता हो जाने के बाद अब अमेरिका भारत से भी अपना व्यापारिक समझौता कर लेना चाह रहा है. चूंकि भारत किसी भी देश के लिए एक बड़ा बाजार है. इसलिए कोई भी देश अपनी जिद पर अडिग रहकर भारत के साथ व्यापारिक समझौता नहीं कर सकता है. इसीलिए अब ट्रंप ने भारत को पत्र भेज कर व्यापारिक समझौते को आगे बढ़ाने की अपनी इच्छा जतायी है. ट्रंप ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि अमेरिका अब हर किसी के साथ समझौता नहीं करेगा. इसलिए हर किस को व्यापार करने के लिए पत्र भी नहीं लिखेगा. पर हां, ट्रंप ने अपने पत्र में यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका वस्तु के अनुसार टैरिफ को 25 प्रतिशत, 35 प्रतिशत या 45 प्रतिशत अवश्य रखेगा.
बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते को लेकर अब तक 4 वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति की जिद के कारण समझौता नहीं हो पाया है. अब जबकि चीन के साथ व्यापारिक समझौता हो चुका है तो लगता है भारत से भी व्यापारिक सहमति बन जायेगी. क्योंकि व्यापारिक सहमति बनना भारत और अमेरिका दोनों के लिए जरूरी है.
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