एक भवन के बाद दूसरा भवन भी आवंटित कैसे किया गया, कौन सी अदृश्य ताकत के दबाव में पूर्व डीसी भी हो गई "खामोश"
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिला परिषद की डिस्ट्रिक्ट मोड स्थित आलीशान भवन को नियम कानून को ताख पर रखकर एक व्यापारी को आवंटित करने का मामला दिन ब दिन तुल पकड़ता जा रहा है. इस अवैध आवंटन के मामले की यदि निष्पक्ष जांच हो तो कई बड़े अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है. यही कारण है कि जब जब इस अवैध आवंटन की जांच आगे बढ़ती है जिम्मेवार अधिकारी खामोश हो जाते और जांच की दिशा को न केवल बदल दिया जाता हैं बल्कि जांच को ही लाल फ़ीताशाही का शिकार बना दिया जाता है. यह स्थिति चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत को भी चरितार्थ करती है. इस अवैध आवंटन मामले में जनता के वोट से चुनकर आए जिला परिषद के चेयरमैन और जिप सदस्यों की रहस्यमय चुप्पी भी न केवल सवालों के घेरे में है बल्कि उनकी चुप्पी उन्हें भी दागदार बना रही हैं.
हजारीबाग के एक आम आदमी के जेहन में भी यह सवाल बार बार कौंध रहा है, जिसका जवाब न तो जिले के डीसी के पास है, न जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी, न जिप चेयरमैन और न ही जिप सदस्यों के पास की जिस आलीशान भवन को बेरोजगार युवक युवतियों को स्वावलंबी बनाने के महती उद्देश्य से बनाया गया था आखिर वह कौन सी परिस्थितियां थी कि यह बिल्डिंग बन जाने के बाद उसे उसके असली मकसद से परे रखकर एक व्यापारी को औने पौने रेट में आवंटित कर दिया गया. आज इस भवन के जरिए जिले के ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगार युवक युवती को स्वावलंबी तो नहीं बनाया गया मगर यह लोगो के स्वास्थ्य के साथ खेलने का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. बिल्डिंग को येन केन प्रकारेंन हासिल कर यह व्यापारी दोनों हाथों से चांदी काट रहा. एक भवन में चलने वाले "आरोग्यम" के पास जिला परिषद की दो दो बिल्डिंग आवंटित कर दी गई. बगल के ही एक भवन को हथिया कर नर्सिंग इंस्टीट्यूट खोल दिया गया. समझा जा सकता जिला परिषद इस व्यापारी के हाथ का खिलौना बन चुका है और जिप चेयरमैन, जिप सदस्य से लेकर प्रशासन तक प्यादे की भूमिका निभा रहे. मालूम हो कि पूर्व उपायुक्त नैंसी सहाय ने इस " खेल" को पकड़ा भी, जांच भी बिठाई, पर अचानक अदृश्य ताकत के "प्रभाव" में आकर जांच अचानक बंद कर दी गई. आज लोग पूर्व डीसी को भी संदेह के नजर से देखने लगे हैं.
किसे मिल रहे हर महीने हरे हरे पत्ते, हर महीने हो रही "अवैध कमाई"
इस मामले का रोचक पहलू यह हैं कि जिला परिषद की दो दो बिल्डिंग पर अघोषित कब्जा करने वाला यह व्यापारी हर माह जिला परिषद के कुछ " ताकतों" को हर माह "हरे हरे पत्तो" से उपकृत करता आ रहा है. एक तरह से यह व्यापारी भी उन "अदृश्य ताकतों" के आगे हर माह या यदा कदा खुद "ब्लैकमेल" करवा रहा है.