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सिमडेगा: सिमडेगा में एक बार फिर गजराज का तांडव ग्रामीणों में कहर बन कर टूटने लगा है और बरसात के पहले गरीबों को हाथियों के कारण आशियाने और जमाकर रखी गई अनाज से हाथ धोना पड़ रहा है. बरसात के पहले गजराज का आतंक वज्रपात के जैसा ग्रामीणों में ढा रहा कहर. आशियाने उजड़ने के साथ ग्रामीण बरसात के लिए संभाल कर रखे अनाजों से भी धो रहे हाथ. हाथी इनके घर तोड़ने के साथ रखे अनाजों को भी कर रहा चट. गजराज का कहर एक बार फिर जलडेगा, कोलेबिरा और बानो के ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बनने लगा है. हाथी ने कोलेबिरा प्रखंड के टूटिकेल पंचायत अंतर्गत सोकोरला शीतपहार गांव में जंगली हाथी के द्वारा जोहान तोपनो के अलावे एक ग्रामीण के घर को अहले सुबह क्षतिग्रस्त कर डाला तथा घर में रखे सारे अनाज को हाथी के द्वारा नष्ट कर दिया वही तीन बक्से को भी नष्ट कर दिया. वही हाथी ने ऐडेगा पंचायत के पेचापानी गांव में सुकरान टेटे के घर को क्षतिग्रस्त कर अनाज खा लिया.
हाथी अभी भी उसी क्षेत्र में जमे हुए है हाथियों के क्षेत्र में जमे रहने के कारण ग्रामीणों में भय व्याप्त है ग्रामीणों ने वन विभाग से उचित कार्रवाई करते हुए जल्द से जल्द मुआवजा देने की मांग की है. इधर घटना के संबंध वन उपरिसर पदाधिकारी अनुज मिंज ने कहा हम लोगों को सूचना मिल चुकी हैं जल्द प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मिलकर जंगली हाथी के द्वारा जो भी क्षति पहुंचाई गई है उसका आकलन करते हुए उसे वन विभाग के द्वारा तत्काल मुआवजा स्वरूप सहयोग किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने ग्रामीणों से अपील किया कि जब भी कोई जंगली हाथी गांव के आसपास आए तो हाथी से ग्रामीण छेड़छाड़ ना करें हाथी को जाने के लिए रास्ते दे हाथी को छेड़छाड़ करने के कारण ही हाथी क्रोधित होते हैं और क्षति पहुंचाने लगते हैं.
गौरतलब है कि विगत एक सप्ताह से जलडेगा प्रखंड और कोलेबिरा प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में हाथी डेरा जमाए हुए हैं और क्षेत्र में तबाही मचा रहे हैं. जलडेगा प्रखण्ड में हाथी प्रभावित क्षेत्रों में बीडीओ विजय राजेश बारला ने हाथी भगाव सामग्री का वितरण किया था. कोलेबिरा के हाथी प्रभावित क्षेत्रों में शनिवार को वन विभाग ने हाथी भगाव सामग्री वितरण किए हैं. लेकिन गांव के पास जमें हाथी से ग्रामीण दहशत में हैं. रात होते हीं इनका डर बढ जाता हैं. रात में हाथी जंगल से निकल खाने की तलाश में गांव की तरफ विचरण करते हैं. इसी दौरान वे उत्पात मचा रहे हैं.
डीएफओ अरविंद कुमार गुप्ता से इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होने कहा कि जिले में हाथी की समस्या पांच छह वर्षो से है. हाथी सिमडेगा और इसके आसपास के क्षेत्रों में विचरण करते रहते हैं. उन्होने बताया कि गांव की तरफ हाथी प्रवेश करने का मुख्य कारण है महुआ शराब जो ग्रामीण क्षेत्रों में बनाया जाता है. उन्होने बताया कि महुआ शराब हाथियों को आकर्षित करता है. उन्होने ग्रामीणों से अपील की है कि महुआ शराब का उत्पादन और संग्रहण घरों में न करें. डीएफओ ने लोगों से अपील की है कि हाथियों को न छेड़ें. हाथी आने पर सुरक्षित उंचाई वाली जगह पर रहें. डीएफओ ने बताया कि उनकी टीम लगातार हाथियों पर नजर बनाए हुए है. उन्होने सभी रेंजर्स को कहा है कि गांव में होने वाले क्षति का आकलन जल्द कर उन्हें दें. जिससे ससमय मुवाबजा दिया जा सके.