न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः राज्य में झारखंड प्रदूषण बोर्ड ने 500 से अधिक खनन परियोजनाओं का खनन कार्य बंद करने का निर्देश दिया है. इसे लेकर बोर्ड ने बीते 17 मई को ही आदेश जारी है जिसमें राज्य के 500 से अधिक खनन परियोजनाओं को जारी CTO (कनसंर्ट टू ऑपरेट, संचालन सहमति) और CTI (कनसंर्ट टू एस्टेबलिसमेंट, स्थापना सहमति) को एक आदेश जारी कर रद्द किया है. इसके साथ ही बोर्ड ने परियोजनाओं को निर्देश देते हुए खनन कार्य को तत्काल प्रभाव से बंद करें. और आदेश का पालन नहीं करने पर संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
वहीं बोर्ड की तरफ से जारी इस आदेश के बाद खनन कार्य में लगी छोटी-बड़ी सभा कंपनियों की मुश्किलें बढ़ गई है. हालांकि इस कार्रवाई की वजह पिछले 6 सालों में तय मापदंडों का पालन किए बगैर ही CTO और CTI जारी कर दिया. और कई मामलों में सुनवाई के दौरान एनजीटी को गलत जानकारी दी गई. इस संबंध में बोर्ड अध्यक्ष शशिकर सामंता द्वारा जारी आदेश के अनुसार, उन खनन पटों का CTO और CTI रद्द किया गया है, जिन्हें 13 सितंबर 2018 के पश्चात जारी किया गया था. अब इन खनन परियोजनाओं को सीटीओ और सीटीई सर्टिफिकेट सिया जारी करेगा. जिसके आदेश का असर 500 से अधिक कंपनियों के खनन परियोजनाओं पर पड़ेगा. लौह अयस्क का खनन करने वाली 72 कंपनी, कंपनियों में पत्थर खनन करने वाली 165 कंपनी, बालू का खनन करने वाली 157 और कोयला खनन करने वाली 105 कंपनियां शामिल हैं.
प्रदूषण बोर्ड का क्या है आदेश
अपने आदेश में बोर्ड ने लिखा है कि नई दिल्ली, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के प्रधान खंडपीठ की ओर से 18 अप्रैल 2024 को पारित आदेशों का अनुपालन करते हुए यह निर्णय लिया गया है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किया था. इसमें यह भी कहा गया है कि वैसे सभी खनन परियोजनाओं से संबंधित DEIAA की ओर से 13 सितंबर 2018 के पश्चात खनन पट्टा के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दी गई थी, जिसे रद्द किया जाए. इसके साथ ही उस पर्यावरणीय स्वीकृति को आधार बनाकर पर्षद द्वारा जिन कंपनियों को सीटीई व सीटीओ जारी किया गया है, उसे रद्द कर दिया जाए. यह कार्रवाई जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 3301 एवं वायु अधिनियम 1981 की धारा (31:0) के तहत की गई है.
अवैध खनन के खिलाफ दर्ज किए गए हैं कुल 6597 केस
आपको बता दें, साल 2019 में झारखंड में अवैध खनन के खिलाफ अबतक कुल 6597 केस दर्ज किए गए है. इसके अलावे कुल 12,280 वाहनों को अवैध ढुलाई में उपयोग करने को लेकर जब्त किया गया है. हालांकि राज्य में अवैध खनन रोकने के लिए सरकार की तरफ से कई तरह की व्यवस्थाएं की गई है. लेकिन अबतक यह नहीं रूका. वहीं इस सब चीजों को लेकर सरकार ने पारदर्शिता तय करने के लिए ई-चालान, ई-भुगतान और ई-परमिट सहित कई ऑनलाइन सिस्टम लागू किए है. बावजूद राज्य में अवैध खनन अबतक नहीं रोका जा सका है.
क्रशरों के सीओटी की NGT ने मांगी थी जानकारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पिछले दिनों NGT ने 2 जानकारियां मांगी थी. जिसमें पहली साहिबगंज के साथ अन्य जिलों में प्रदूषण का मापदंड क्या है और दूसरी पर्टिकुलेट मैटर 10 माइक्रॉन से अधिक है या नहीं. प्रदूषण बोर्ड इसका सही जवाब नहीं दे पाया. इसकी जांच के लिए बाद में प्रदूषण बोर्ड ने मशीन मंगवाई, लेकिन मशीन से जांच सही हो रहा है या नहीं, यह पता करने का कोई सिस्टम बोर्ड के पास नहीं है दुमका रिजनल ऑफिस से बोर्ड ने एक चेकलिस्ट जारी किया. जिसमें कहा गया कि क्रशरों का बाउंड्री वॉल, पानी पटाने, ग्रीन बेल्ट की व्यवस्था नहीं है. इस पर NGT ने सवाल किया कि शर्त को पूरा किए बगैर बोर्ड ने कंसेंट टू एस्टेब्लिश और कंसेंट टू ऑपरेट कैसे दे दिया. बता दें, संथाल परगना के साहिबगंज में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगभग 200 क्रशरों को कंसेंट टू एस्टेब्लिश और कंसेंट टू ऑपरेट दिया.
पत्थर कारोबारियों पर अबतक लगा एक अरब 26 लाख का जुर्माना
अपने हलफनामा में झारखंड प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने ट्रिब्यूनल को बताया कि पत्थर कारोबारियों पर एक अरब 26 लाख 55 हजार 460 रुपये का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का जुर्माना लगाया गया है जिसमें अबतक 97 लाख 25 हजार 624 रुपये की वसूली हो गई है. वहीं जुर्माना राशि में पुनर्विचार के लिए 120 पत्थर कारोबारियों ने प्रदूषण बोर्ड में आवेदन जमा किया है इसके अलावे 11 पत्थर कारोबारियों ने झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है.