झारखंड के दो पूर्व राज्यपालों का सम्मान, एक हैं राष्ट्रपति, दूसरे बनेंगे उप राष्ट्रपति
न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: भाजपा ने एक बार फिर झारखंड का मान बढ़ाया है. देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो कि झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं, देश के सर्वोच्च पद पर बिठाने के बाद एक फिर झारखंड के एक और राज्यपाल रह चुके सीपी राधाकृष्ण को राष्ट्रपति के बाद सर्वोच्च पद पर भाजपा बिठाने जा रही है. यह एक मात्र संयोग हो सकता है, लेकिन भाजपा कोई भी कार्य बिना फायदे-नुकसान के नहीं करती. इसलिए जैसे ही भाजपा ने सीपी राधाकृष्णन, जो कि इस समय महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, को जैसे ही उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया, राजनीतिक हलकों में इसके मायने निकाले जाने लगे हैं.
भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने काफी मंथन के बाद उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा की है. सीपी राधाकृष्णन के नाम पर खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुहर लगायी, उसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा उनके नाम का ऐलान कर दिया.
चन्द्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) तमिलनाडु के तिरुप्पुर से सम्बद्ध रखते हैं, तरुप्पुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे सीपी राधाकृष्णन की गिनती भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में होती है. 31 जुलाई, 2024 से वह महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में सेवाएं दे रहे हैं. फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक वह झारखंड के राज्यपाल रहे. मार्च से जुलाई 2024 तक तेलंगाना के राज्यपाल और मार्च से अगस्त 2024 तक पुडुचेरी के उपराज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार सम्भाल चुके हैं.
मगर उनकी असल पहचान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ से जुड़ाव रहा है, जिससे वह किशोरावस्था में ही जुड़ गये थे। 1974 में जब वह 16 साल के थे तभी वह RSS और जनसंघ से जुड़ गये. 1996 में तमिलनाडु भाजपा में सचिव बने और 1998-99 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीता है. भाजपा जिस तमिलनाडु में अपने पांव जमाने का प्रयास कर रही है, वहां से सीपी राधाकृष्णन का चुनाव जीतना ही उनका कद और महत्व अपने आप समझा देती है. 2004 से 2007 तक राधाकृष्णन तमिलनाडु भाजपा का अध्यक्ष पद भी सम्भाल चुके हैं. 2020-2022 तक केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे हैं.
जिस समय जगदीप धनखड़ा ने उप राष्ट्रपति पद को छोड़ा था, तभी से एक अटकल यह भी लग रही थी कि भाजपा की निगाहें दक्षिण की ओर हैं, इसलिए हो सकता है, उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार दक्षिण से ही निकल कर आ सकता है, और हुआ भी वैसा ही। भाजपा अगले साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव में उतरने वाली है, उनमें एक राज्य तमिलनाडु भी है। अन्नामलाई जैसे तेज-तर्रार नेता को भाजपा ने तमिलनाडु का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. लेकिन पार्टी को उसका कोई फायदा नहीं हुआ. इसलिए भाजपा को वहां के लिए ऐसे नेता की दरकार थी जो अन्नामलाई से भी ऊंचे कद का हो और वहां की राजनीति की अच्छी समझ रखता हो. ऐसे में जब भाजपा के पास दक्षिण में विकल्प कम हैं तो भला सीपी राधाकृष्णन से अच्छा नाम और कौन हो सकता है? इसी लिए तमिलनाडु विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए राधाकृष्णन को चुना है.
भाजपा कई सालों से तमिलनाडु में जड़े जमाने का प्रयास कर रही है. काेयंबटूर में राधाकृष्णन की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने उनके साथ आकर तमिलनाडु की पश्चिमी बेल्ट पर फोकस किया है.
बता दें कि 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 2.6 प्रतिशत था और पार्टी अब उसे बढ़ाना चाहती है.
राधाकृष्णन को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना भाजपा की एक और रणनीति का परिणाम माना जा रहा है. पिछले कुछ समय से भाजपा और आरएसएस के रिश्तों में खटास आयी है, ऐसे में यह भी माना जा सकता है भाजपा संघ से अपनी कड़वाहट को दूर करने के लिए संघ और जनसंघ के पुराने नेता को अपने करीब लायी है. भाजपा को उम्मीद है कि राधाकृष्णन के बहाने वह संघ से अपने रिश्तों को और मजबूत कर सकती है. भाजपा चूंकि यह बात अच्छी तरह से जानती है कि बिना संघ की मदद से उपलब्धियां हासिल करना टेढ़ी खीर है. इसीलिए स्वंतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से लीक से हटकर संघ की तारीफ की थी, जिस पर विपक्षी पार्टियों ने घोर विरोध जताया है.
राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का एक और अच्छा परिणाम तमिलनाडु में ओबीसी के एक वर्ग को साधने के रूप में भी सामने आ सकता है. राधाकृष्णन OBC के कोंगु वेल्लालर समुदाय से आते हैं, जो तमिलनाडु में एक अहम वोट बैंक है. यानी भाजपा ने राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर एक नहीं कई दांव एक साथ चले हैं. ये दांव कितने सटीक पड़े हैं, आने वाले दिनों में इसका अंदाज लग जायेगा. फिलहाल तो भाजपा का दांव कैसा है, इसका अंदाज उस समय हो जायेगा जब विपक्षी दलों में कई दलों को भाजपा सीपी राधाकृष्णन के समर्थन में वोट देने के लिए राजी कर लेगी, इन दलों में तमिलनाडु का डीएमके भी शामिल है.