न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: अभी दुनिया भर में लगाई गई वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) के दुष्प्रभाव (Side effect) का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि कोवैक्सीन (Covaxin) के साइड इफैक्ट्स पर आई एक रिसर्च ने सनसनी मचा दी है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लोगों को दोनों ही वैक्सीन लगाई गयी है. इतना ही नहीं कई लोगों ने तो उस दौरान प्रयोग के लिए दिए गए कोवैक्सीन और कोविशील्ड का कॉकटेल डोज भी लगवाया था. कोविशील्ड बनाने वाली एस्ट्रेजेनेका (AstraZeneca) ने अपनी वैक्सीन वापस लेने का फैसला कर लिया था. कंपनी ने खुद ही स्वीकार था कि वैक्सीन को लेने के बाद लोगों में 4 से 6 हफ्ते के अंदर ब्लड क्लोटिंग और थ्राम्बोसिस की समस्या देखि गयी. क्लोटिंग की वजह से दिल का दौरा (heart attack) होने की भी संभावना जताई गई थी. लेकिन हाल में ही कोवैक्सीन को लेकर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में हुए एक रिसर्च में वैक्सीन लेने वाले लोगों में नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर (system disorders) यानी नसों से जुड़ी परेशानी, आंखों की दिक्कत, मुस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर (musculoskeletal disorder), वायरल अपर रेस्पेरेट्री ट्रैक इंफेक्शन्स से लेकर न्यू-ऑनसेट स्कीन एंड सबकुटैनियस डिसऑर्डर और जनरल डिसऑर्डर से जुड़ी परेशानी देखें जाने का दावा किया गया है. ऐसे में अब ये बहस शुरू हो गयी है कि कोविशील्ड या कोवैक्सीन में से किस से ज्यादा साइड इफैक्ट्स है. तो आइये जानते है किसके कितने साइड इफैक्ट्स है.
कोविशील्ड
इस पुरे मामले में डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च नई दिल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर सुनीत सिंह का कहना है कि जिस तरह कोवैक्सीन और कोविशील्ड के साइड इफैक्ट्स अलग हैं. वैसे ही इसके बनाने का तरीका भी बिलकुल अलग है. बात करे , कोविशील्ड की तो यह एडिनोवायरस बेस्ड वैक्सीन (adenovirus based vaccines) थी. इसमें वैक्सीन के माध्यम से एक्टिव स्पाइक प्रोटीन को शरीर में डाला जाता है और तब सार्स कोव 2 के खिलाफ एंटीबॉडीज बनती हैं. इसमें अन्य वैक्सीन की तरह ही दुष्प्रभाव की संभावना है. डेटा के अनुसार उस लिहाज से लाइफ थ्रेटनिंग थ्राम्बोसिस वाले मरीजों की संख्या कम थी. जिन लोगों में दुष्प्रभाव देखे गए क्या उनमें क्या ये भी देखा गया कि उनमें कोई कोमोरबिड नहीं था, या वो किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं था. कोविशील्ड को लगे अब इतना समय हो गया है. भारत के लोगों को इसका खतरा नहीं है. बाकी अपवाद किसी भी दवा में हो सकती है.
कोवैक्सीन
सुनीत ने कहा ने आगे कहा कि बात करें कोवैक्सीन को लेकर दो पहलू हैं. पहली ये कि जिस तकनीक से कोवैक्सीन बनाई गयी है. आज भी उस तकनीक से बड़ों और बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है. कोवैक्सीन एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है. इसमें शरीर के अंदर मृत वायरस को पहुंचाया जाता है जो संक्रमण करने में असमर्थ रहता है लेकिन उसके एंटीजन शरीर को रोग के प्रति एंटीबॉडीज बनाने के लिए प्रेरित करते हैं. और शरीर का बीमारी से बचाव करता हैं. वही यह एक निष्क्रिय वायरस पर बनी वैक्सीन है तो इससे किसी तरह की संक्रमण की गुंजाइश नहीं रहती है.
डॉ. सुनीत ने आगे कहा कि कोविशील्ड के समय भी कहा था और अब कोवैक्सीन को लेकर भी यही कहूँगा कि कोरोना ऐसी बीमारी रहा है जिसकी कई लहरें आईं, जिसके कई इफैक्ट्स रहे ऐसे में किसी भी साइड इफैक्ट को बिना अन्य पहलुओं को देखे सिर्फ वैक्सीन का बता देना ठीक नहीं है.