न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: लगता है बिहार विधानसभा चुनाव में अब बैकफुट पर आ गयी है. बिहार में कांग्रेस ने फ्रंटफुट पर खेलने का तो बहुत प्रयास किया, लेकिन लगता है कि वह अब हकीकत के धरातल पर आ गयी है. इतना ही नहीं, वह अब राजद के खेमे वाले मुख्यमंत्री को भी स्वीकार करने को तैयार है. ऐसा बिहार विधानसभा चुनाव का नेतृत्व कर रहे कन्हैया कुमार ने कहा है. कन्हैया कुमार ने कहा कि बिहार में अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री राजद से ही होगा. यानी कांग्रेस ने भी अब तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा के रूप में स्वीकार कर लिया है.
बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक कांग्रेस का जो भी घटनाक्रम रहा है, उसका मजमून यही था कि न तो वह उसे तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार थे और न ही उसे बिहार में कम सीटें स्वीकार थीं. अनुमान तो यही लगाया जा रहा था कि अगर कांग्रेस की बातें महागठबंधन में नहीं मानी गयीं तो वह अलग रास्ता भी अख्तियार कर लेगा. कांग्रेस अब ऐसा क्यों कर रही है, इसके लिए पिछले कुछ समय बिहार में चल रहे घटनाक्रम जिम्मेवार हैं. महागठबंधन में शामिल पार्टियों ने एक के बाद एक जिस तरह से राजद और तेजस्वी यादव में अपना विश्वास जताया है, उससे कांग्रेस की बेचैनी अच्छी तरह से समझी जा सकती है. इतना ही नहीं, हाल ही में भाजपा (माले) के प्रमुख दीपांकर भट्टाचार ने भी जब अपना विश्वास पूरी तरह से राजद में जता दिया तब कांग्रेस के सामने हथियार डालने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा. बता दें कि दीपांकर भट्टाचार्य ने राजद में विश्वास जताने के साथ तेजस्वी यादव को ही महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया था.
जब चारों ओर से परिस्थितियां अनुकूल होने लगी हैं तब कांग्रेस ने भी राजद और तेजस्वी में ही अपना विश्वास जताना मुनासिब समझा. क्योंकि कांग्रेस यह बात अच्छी तरह से जानती है कि पूरे देश में अकेले के बूते एक या दो राज्यों में ही सरकार बना सकती है. बाकी जगहों पर स्थानीय पार्टियों का उसे सहारा चाहिए ही. उत्तर प्रदेश में उसकी हालत बेहद बुरी हो चुकी है, झारखंड में अगर झामुमो के साथ नहीं चले तो यहां भी सत्ता से दूर रहती. यही हाल बिहार का भी है, बिहार में सत्ता में बने रहने के लिए राजद का समर्थन उसके लिए जरूरी है. बिहार में अकेले के बूते वह कब सरकार बनाने के लायक होगी, शायद इसके लिए अभी बहुत लम्बा समय इन्तजार करना पड़ेगा.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कैसा रहा है कांग्रेस का प्रदर्शन
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस को सीटें तो बहुत मिली थीं, लेकिन उसका प्रदर्शन उस अनुसार नहीं रहा था. राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और वह 75 सीटों के साथ बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़कर भी सिर्फ 19 सीटें जीत पायी थी. कांग्रेस से तो बेहतर प्रदर्शन भाकपा (माले) लिबरेशन ने किया था, भाकपा माले ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ कर 12 सीटें महागठबंधन को दी थी.
यह भी पढ़ें: अब अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही मिलेगा बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र, सरकार का बड़ा फैसला.. जानिए नए नियम की पूरी डिटेल