50 से ज्यादा हथियारबंद नक्सलियों के मौजूद होने की सूचना, 2018 के बाद सबसे बड़ा अभियान
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड के गढ़वा जिले में पुलिस, नक्सलियों के साथ निर्णायक लड़ाई लड़ रही है. कभी जिले के करीब 800 गावों में अपना असर रखनेवाले व हथियारबंद दस्ता के साथ सक्रिय नक्सली अब सिर्फ बड़गड़ प्रखंड के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र तक सीमित हो गये है इस क्षेत्र में पुलिस का संयुक्त अभियान शुरू हुआ है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के थलिया व तिसीया जंगल में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पुलिस अबतक कई लैंड माइंस नष्ट कर चुका है. बूढ़ा पहाड़ झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित है. इस इलाके में 2018 के बाद से माओवादियों के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा अभियान शुरू किया गया है. पुलिस के अनुसार, अभियान के दौरान सुरक्षा बल पूरी सतर्कता से आगे बढ़ रहे हैं.
भौगोलिक रूप से दुरूह क्षेत्र की वजह से बूढ़ा पहाड़ पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा छतीसगढ़ में पड़ता है. इसके अलावा झारखंड के लातेहार जिले व गढ़वा जिले में भी इसका क्षेत्र आता हैं. नक्सली पुलिस से नजरें बचाकर दूसरे क्षेत्रों में घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं. वर्तमान अभियान में सुरक्षा बलों की 40 से अधिक कंपनियों को शामिल किया गया है. इनमें कोबरा, जगुआर एसॉल्ट ग्रुप, सीआरपीएफ, जैप और आईआरबी शामिल हैं. अभियान के दौरान सीआरपीएफ, जैप व आईआरबी ने इलाके में घेराबंदी की है, जबकि कोबरा और जगुआर माओवादियों के खिलाफ स्ट्राइक कर रही हैं.
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घने जंगल व दुरूह क्षेत्र की वजह से इस पहाड़ की चोटी तक पहुंचना हमेशा से पुलिस के लिये चुनौती भरा रहा है. पुलिस चोटी तक भले नहीं पहुंच सकी है, लेकिन इसके काफी करीब तक जरूर पहुंच चुकी है. हाल के कुछ सालों के अंदर भंडरिया व बड़गड़ क्षेत्र के घने व दुरूह क्षेत्रों में तेजी से सड़कों का निर्माण किया गया है इसका लाभ यह हुआ कि बूढ़ा पहाड़ तक जाने वाले रास्ते में सीआरपीएफ व आईआरबी के 10 कैंप व पिकेट स्थापित कर दिये गए है. इस वजह से नक्सलियों को मजबूरन बूढ़ा पहाड़ की चोटी क्षेत्र में सिमटना पड़ा.
बूढ़ा पहाड़ माओवादियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है. इसे मुक्त कराना सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती है. माओवादियों ने वर्ष 2013-14 में बूढ़ापहाड़ को झारखंड-बिहार उत्तरी छत्तीसगढ़ सीमांत एरिया स्पेशल कमिटी का मुख्यालय बनाया था. एक करोड़ के इनामी दिवंगत माओवादी कमांडर अरविंद ने बूढ़ा पहाड़ को अपना मजबूत ठिकाना बनाया था. पुलिस को सूचना मिली है कि 25 लाख के इनामी माओवादी सौरव उर्फ मरकस बाबा के नेतृत्व में 40 से 50 की संख्या में माओवादी कैंप कर रहे है. इसी इलाके में माओवादी कमांडर नवीन यादव, रविंद्र गंझू, मृत्युंजय भुइंया, संतु भुइंया व छोटू खेरवार ने शरण ले रखी है. यहां से नक्सली अपनी रणनीति बनाते रहे है.
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राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के सम्मेलन में झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने पर जोर दिया गया है. सम्मेलन में झारखंड पुलिस ने बताया कि नक्सली संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद कई अहम जानकारियां मिली. झारखंड पुलिस की सूचना पर ही रंजीत बोस उर्फ कंचन की गिरफ्तारी असम से हुई है. गिरफ्तारी के बाद माओवादियों की बड़ी योजना विफल हो गयी. उल्लेखनीय है कि 17-18 अगस्त को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में दिल्ली में बैठक हुई थी.