न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: लगता है बांग्लादेश अपनी हर पुरानी निशानी को मिटा देना चाहता है, जो उसके इतिहास से जुड़ी हुई हैं. बांग्लादेश के जनक मुजीब्बुर्रहमान की तमाम निशानियां बांग्लादेशी मिटा चुके हैं. अब जो खबर आ रही है कि वह भारत के लिए काफी दर्दनाक है. बांग्लादेश में विद्रोह करने के बाद, हिन्दुओं को बर्बादी के कगार पर पहुंचाने के बाद, मुजीब्बुर्रहमान की निशानियां मिटाने के बाद अब देश का भी राष्ट्रगान लिखने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर की विरासत पर भी धावा बोला है.
सबसे पहले तो यह बता दें कि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने सिर्फ भारत का ही राष्ट्रगान नहीं लिखा था. उन्होंने बांग्लादेश का भी राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' लिखा था. इतना ही नहीं, श्रीलंका के राष्ट्रीय गान 'श्रीलंका मथा' का भी एक हिस्सा रवीन्द्र नाथ टैगोर की कविता से लिया गया है.
हिंसक भीड़ ने रवीन्द्र टैगोर के पैतृक आवास पर बोला हमला
बता दें कि रवीन्द्रनाथ टैगोर का पैतृक निवास बांग्लादेश के सिराजगंज जिले में स्थित है. 'रवीन्द्र कचहरीबाड़ी' के नाम से विख्यात इस आवास पर भीड़ ने हमला कर पत्थरबाजी की. खबरों के अनुसार, घर को काफी नुकसान पहुंचा है. वैसे तो नुकसान के लिए बांग्लादेशी अधिकारियों की एक समिति बनायी गयी है, लेकिन यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि इसका नतीजा क्या होगा.
पार्किंग शुल्क को लेकर शुरू हुए विवाद ने लिया हिंसक रूप
घटना 8 जून की बतायी जा रही है. यह विवाद एक बांग्लादेशी प्रवासी शाह नवाज के साथ हुआ था. शाह नवाज अपने परिवार के साथ 'रवीन्द्र कचहरीबाड़ी' पहुंचे थे. वहां प्रदर्शनी देखने और पार्किंग के लिए शुल्क निर्धारित है. जिसका तो उन्होंने भुगतान कर दिया. लेकिन उन्हें रसीद नहीं दी गयी. बाद में इसी रसीद को लेकर वहां उपस्थित कर्मचारियों के साथ उनका विवाद हो गया. विवाद के बाद कर्मचारियों ने उनके साथ बुरी तरह से मारपीट भी की. यह विवाद बढ़ा तो दो पक्षों में मारपीट शुरू हो गयी और इसी मारपीट में 'रवीन्द्र कचहरीबाड़ी' में पत्थरबाजी हुई और उसे काफी नुकसान पहुंचा. 'रवीन्द्र कचहरीबाड़ी' के खिड़कियों, दरवाजों, फर्नीचर को काफी नुकसान पहुचाया गया.
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने इसकी निंदा करते हुए एक 3 सदस्यी समिति बनाकर जांच कराने का निर्देश दिया है. हमले के जिम्मेवार कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है.