न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों से राज्यपाल के कुलपति ,प्रति कुलपति एवं अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करने के निर्णय को समाप्त करने का जो निर्णय लिया गया है, वह पूरी तरह असंवैधानिक, दुर्भावनापूर्ण और लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे पर सीधा प्रहार है. यह स्पष्ट रूप से शिक्षा व्यवस्था का राजनीतिककरण करने और उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी कठपुतली बनाने का षड्यंत्र है. प्रतुल ने कहा कि हाल के वर्षों में विपक्ष शासित प्रदेशों में यह परिपाटी चल पड़ी है कि राज्यपाल को उच्च शिक्षा और विश्विद्यालय के क्षेत्र में दिए गए अधिकारों में कटौती की जाए.इसके शुरुआत पश्चिम बंगाल में हुई. फिर केरल,तमिलनाडु और पंजाब में भी इसका अनुसरण किया गया.अब झारखंड भी इसी मॉडल पर चल रहा है.
प्रतुल शाहदेव ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि राज्यपाल किसी भी राज्य में संविधान के संरक्षक होते हैं और विश्वविद्यालयों में कुलाधिपति के रूप में उनकी भूमिका संस्थानों की निष्पक्षता, गरिमा और स्वायत्तता सुनिश्चित करती है. संविधान निर्माता ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन में राज्यपाल की भूमिका तय की है जिसे अब हेमंत सरकार हटना चाह रही है.
प्रतुल ने कहा कि हेमंत सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को कुचलना चाहती है और योग्यताओं की जगह चाटुकारिता को बढ़ावा देना चाहती है. यह निर्णय न केवल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि इससे झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को बड़ी क्षति पहुंचेगी. प्रतुल शाहदेव ने चेतावनी दी कि इस निर्णय का राज्य की उच्च शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.उन्होंने राज्यपाल महोदय से भी आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर संज्ञान लें और इसकी समीक्षा करवाएं.