न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: इस साल ऐश बुधवार यानी राख बुधवार , बुधवार (5 मार्च) को मनाया जा रहा है. ईसाई धर्म में ऐश बुधवार पहला दिन या लेंट के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. राख बुधवार हमेशा ईस्टर रविवार से 40 दिन पहले पड़ता है (इसमें रविवार शामिल नहीं किया गया है) राख बुधवार के दिन से ईसाई लोग समुदायिक और व्यक्तिगत दोनों माध्यमों से पश्चाताप और प्रार्थना पर ध्यान केंद्रित करके चालीसा की शुरुआत करते हैं.
ईसाई धर्मवलांबियों का लेंट आज से शुरू
ऐश वेडनेसडे की शुरुआत आज, 05 मार्च से हो गया है. विश्व भर के ईसाई लोग ऐश वेडनेसडे से 40 दिन के उपवास पर्व की शुरुआत करते हैं. ऐश वेडनेसडे यानी लेंट डे दुख भोग के रुप में मनाया जाता है. इन 40 दिनों तक ईसाई लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं. लेंट के पवित्र समय के दौरान लोग प्रभु ईशु के बलिदान को याद करते हैं. ईशा मसीह ने 40 दिन का व्रत रखा था, उनके 40 दिन के व्रत को त्याग, बलिदान के रुप में मनाया जाता है. इस दिन ईसाई लोग पवित्र राख से माथे पर क्रूस का निशान बनाते हुए ईशा मसीह को याद करते हैं. माथे पर राख लगाते हुए लोगों को याद दिलाया जाता है कि तुम मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओगे. इसके साथ लोगों को अंहकार छोड़कर अच्छी सीख दी जाती है.
क्या है बुधवार ऐश
लेंट के पहले दिन राख बुधवार मनाया जाता है. इस दिन ईसाई समाज के लोग अपने माथे पर राख का आशीष लगाते हैं. खजूर पर्व पर लाई गई खजूर की डाल को वर्षभर सहेज कर रखा जाता है. जिसे दूसरे वर्ष जलाकर उसकी राख बनाई जाती है. इसी राख का उपयोग विशेष आशीष प्रदान करने के बाद श्रद्धालुओं के मस्तक पर क्रूस चिह्न के रूप में लगाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि हमारा जीवन यहीं से प्रारंभ होता है और अंत भी इसी राख में हो जाता है. और ईस्टर काल के मुताबिक ईस्टर से पहले वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे मनाया जाता है। गुड फ्राइडे के दिन ही ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था. ईस्टर (पास्का) से पहले आने वाले सप्ताह को पवित्र सप्ताह कहा जाता है.