बसंत कुमार साहू/न्यूज 11 भारत
सरायकेला/डेस्क: सरायकेला जिला के नीमडीह थाना क्षेत्र स्थित तिल्ला टोला आमडाबेड़ा जंगल के पास एक ट्रस्कर (प्रमुख नर) हाथी की आज सुबह संदिग्ध विषाक्त पदार्थ खाने से मौत हो गई. ग्रामीणों के अनुसार, हाथी ने खेत में लगी लौकी (लावकी) की फसल खाई थी, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी और वह खेत में ही तड़पते हुए गिर पड़ा. इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक और भय का माहौल बन गया है.
घटनाक्रम का विवरण
ग्रामीणों ने बताया कि बीती रात तीन हाथियों का झुंड आमडाबेड़ा गांव के पास लौकी की खेती में घुस आया. हाथियों ने फसल को खाकर और रौंद कर भारी नुकसान पहुंचाया. इनमें से एक ट्रस्कर हाथी ने लौकी खाने के तुरंत बाद तड़पना शुरू कर दिया और सुबह खेत में मृत पाया गया.
हाथी की मृत्यु से पहले खेत में उसके मल-मूत्र के साथ लीद (गाढ़ा मल) और फेन (झाग) दिखाई दिया, जिससे उसके विषाक्त पदार्थ खाने की आशंका और भी मजबूत होती है. घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीण मौके पर पहुंचे और हाथी को भगवान का स्वरूप मानते हुए सिंदूर, पुष्प और अगरबत्ती से उसकी पूजा की.
एक वर्ष में छह हाथियों की मौत
यह घटना ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में हाथियों की हो रही लगातार मौतों की एक और कड़ी बन गई है. बीते एक वर्ष में इस क्षेत्र में लगभग छह हाथियों की जान जा चुकी है. अधिकतर मामलों में मौत का कारण करंट लगना या विषाक्त भोजन बताया गया है.
वन विभाग की भूमिका पर सवाल
घटना की जानकारी मिलते ही चांडिल वन क्षेत्र के अधिकारी, वनपाल और वन रक्षक मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की. प्रारंभिक जांच में विषाक्त भोजन ही मौत का कारण माना जा रहा है, लेकिन पोस्टमार्टम के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो सकेगी.
ग्रामीणों में भय का माहौल
ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का गांव में लगातार प्रवेश और फसल को नुकसान पहुंचाना अब आम हो गया है. कई बार हाथी घरों को भी नुकसान पहुंचा चुके हैं. दुमदुमी के निवासी अष्टमी महतो ने बताया कि दो माह पूर्व एक हाथी ने उसका घर तोड़ दिया था, जिसके बाद वह बेघर होकर फिलहाल कॉलेज परिसर में रहने को मजबूर है. वन विभाग की ओर से एक लाख रुपये का मुआवजा मिला है, जिससे घर निर्माण शुरू किया गया है
झुंड में कई हाथी सक्रिय
स्थानीय लोगों के अनुसार, होदागोड़ा जंगल क्षेत्र में तीन हाथियों का एक झुंड तथा दूसरे झुंड में लगभग 15 हाथी सक्रिय हैं. आमडाबेड़ा गांव में हुई ताजा घटना में भी हाथी झुंड में आए थे. खेती को नुकसान पहुंचाने के साथ एक हाथी की मौत हो गई. यह घटना न केवल वन विभाग की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि हाथियों और इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष की भी एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती है. ऐसे में जरूरी है कि वन विभाग और प्रशासन मिलकर हाथियों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर सुनिश्चित करें और ग्रामीणों को पर्याप्त सुरक्षा एवं मुआवजा व्यवस्था उपलब्ध कराएं, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं से बचा जा सके.