अजय लाल/न्यूज 11 भारत
रांची/डेस्क: तारीख - 17 जुलाई 2000. वक्त - सुबह के नौ बजकर 20 मिनट. दिन - सोमवार. स्थान पटना का गर्दनीबाग का इलाका. आम दिनों की तरह इलाके में चहल पहल थी. कोई स्कूल जाने की तैयारी कर रहा था तो किसी को दफ्तर जाने की जल्दबाजी थी. कुछ लोग अलसा रहे थे चुकि रविवार के बाद सोमवार आया था. और फिर अचानक जो कुछ हुआ उसने पूरे पटना में चीत्कार और कोहराम मचा दिया.
गर्दनीबाग में हुआ था अहमदाबाद की तरह एक विमान हादसा
जी हां. पटना के गर्दनीबाग में 17 जुलाई 2000 को बिल्कुल अहमदाबाद की तरह एक विमान हादसे का शिकार हो गया था. अंतर सिर्फ इतना भर था कि पटना के गर्दनीबाग मे वह विमान लैंडिंग के वक्त जमींदोज हुआ था. यह संवाददाता उस वक्त पटना के एक अखबार में कार्यरत था. जो मंजर था वह एक बारगी अहमदाबाद हादसे के बाद ताजी हो गयी. पूरा इलाका धुंआ धुंआ हो गया था. हालात ऐसे हो गये थे कि पूरा पटना गर्दनीबाग में आ चुका था. जेहन की यादें बता रही है कि इस मंजर ने सभी को दुखी किया. जिसे सूचना मिली उसके मुंह से एक ही आवाज आयी - हे भगवान यह क्या हो गया. 66 लोगों की अकाल मौत हो गयी थी. उस वक्त वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मनविंदर सिंह भाटिया पटना में सिटी एसपी के रूप में तैनात थे. वो कभी दमकल के पाईप को वे खुद हाथ में उठाकर आग बुझाने की कोशिश करते देखे गये थे तो अगले ही पल वो मलबा हटाने खुद विमान के पास डट गये थे.
क्या हुआ था ?
दरअसल. हुआ यूं था कि इंडियन एयरलाइंस से संबंध एलायंस एयर का विमान संख्या 7412 कोलकाता से दिल्ली वाया पटना की उड़ान पर था. ( वाया - यानी बीच में पड़ने वाला रास्ता या ठहराव ) यह विमान सुबह नौ बजकर बीस मिनट पर पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंड करने वाला था. एयरपोर्ट से महज दो से तीन किलोमीटर पहले अचानक विमान में खराबी आ गयी और यह पटना के गर्दनीबाग के रिहायशी इलाके में गिर गया. जहां यह विमान गिरा वह बिहार सरकार के गृह विभाग में कार्यरत एक अधिकारी का सरकारी क्वार्टर था.
इस हादसे में विमान के 55 यात्री. विमान चालक दल के छह सदस्य और क्वार्टर में रहने वाले पांच लोग यानी 66 लोगों की अकाल मौत हो गयी थी. पूरे हादसे में सिर्फ विमान यात्री के रूप में एक बच्ची जीवित बची थी.
घटना की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस दिन सरकारी कार्यालय में लगभग छुट्टी जैसे हालात थे. तब आईपीएस मनविंदर सिंह भाटिया (अभी झारखंड में पदस्थापित) पटना के सिटी एसपी हुआ करते थे. गर्दनीबाग पुलिस का वायरलेस जैसे बजा वे अपने सरकारी चालक के साथ गर्दनीबाग में हादसे की जगह पहुंचे. तबतक दमकल की गाड़िया भी पहुंच चुकी थी.
इस संवाददाता ने देखा था कि शायद कोई बच जाये की कोशिश में भाटिया खुद विमान के मलबे को हाथों से हटाने की कोशिश कर रहे थे. दमकल की बौछार से मनविंदर सिंह भाटिया तर बतर हो गये थे. लेकिन शायद ईश्वर को कुछ और मंजूर था. विमान में सवार कोई भी यात्री नहीं बचा.
बाद में तीन दिनों तक मलबा हटाने का काम चलता रहा. कई अखबारों ने सुबह होने का इंतजार नहीं किया और शाम में ही अखबार छाप डाला. और फिर पटना के इस हवाई अड्डे को खतरनाक हवाई अड्डा के रूप में कुछ लोग पुकारने लगे. पुलिसिया कानून के मुताबिक घटना के तीन दिन बाद मृतक पायलट पर एफआईआर तक हुआ.