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मतदाताओं के प्रतिकूल फैसले के बाद, भारत के चुनाव आयोग को समझौतावादी कहना बेतुका: भारत निर्वाचन आयोग

मतदाताओं के प्रतिकूल फैसले के बाद, भारत के चुनाव आयोग को समझौतावादी कहना बेतुका: भारत निर्वाचन आयोग

न्यूज 11 भारत


रांची/डेस्क: भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बताया गया है कि सभी भारतीय चुनाव कानून के अनुसार होते हैं. भारत में जिस पैमाने और सटीकता के साथ चुनाव होते हैं, उसकी दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है. पूरा देश जानता है कि मतदाता सूची तैयार करने, मतदान और मतगणना आदि सहित प्रत्येक चुनाव प्रक्रिया सरकारी कर्मचारियों द्वारा की जाती है और वह भी मतदान केंद्र से लेकर निर्वाचन क्षेत्र स्तर तक राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त अधिकृत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में. किसी के द्वारा फैलाई गई कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि अपने स्वयं के राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों की भी बदनामी करती है और लाखों चुनाव कर्मचारियों का मनोबल गिराती है जो चुनावों के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं. मतदाताओं द्वारा किसी भी प्रतिकूल फैसले के बाद, यह कहकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है कि यह समझौतावादी है.

 

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए निराधार आरोप को कानून के शासन का अपमान माना है. आयोग द्वारा कांग्रेस के उठाए गए निराधार आरोपों का तथ्यों के आधार पर  बिन्दुवार खंडन किया गया है. भारत आयोग ने बताया है कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केन्द्र पर पहुंचे 6,40,87,588 मतदाताओं ने मतदान किया. औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए. इन औसत रुझानों के अनुसार, लगभग 116 लाख मतदाताओं ने अंतिम दो घंटों में मतदान किया होगा. इसलिए, दो घंटों में मतदाताओं द्वारा 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान रुझानों से बहुत कम है. इसके अलावा, प्रत्येक मतदान केन्द्र पर उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त मतदान एजेंटों के सामने मतदान आगे बढ़ा. कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई पुष्ट आरोप नहीं लगाया है.  

 

महाराष्ट्र सहित भारत में मतदाता सूचियाँ  लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं. कानून के अनुसार, या तो चुनावों से ठीक पहले और/या हर साल एक बार मतदाता सूचियों का विशेष सारांश संशोधन किया जाता है और मतदाता सूचियों की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) सहित सभी राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है. महाराष्ट्र चुनावों के दौरान इन मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, 9,77,90,752 मतदाताओं के मुकाबले, कुल 89 अपीलें प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (DM) के समक्ष दायर की गईं और केवल 1 अपील द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (CEO) के समक्ष दायर की गई.  इसलिए, यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव आयोजित करने से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की कोई शिकायत नहीं थी. 

 

मतदाता सूची के संशोधन के दौरान, 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए, ईआरओ द्वारा नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों द्वारा 1,03,727 बूथ स्तरीय एजेंट भी नियुक्त किए गए थे, जिनमें कांग्रेस द्वारा 27,099 शामिल थे. इसलिए, महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए ये निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं. चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को दिए अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे जो ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है. ऐसा प्रतीत होता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते समय इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है.

 


 


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