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रांची/डेस्कः देश में हर दिन महिलाओं के साथ हो रहे अपराध को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को संसद के निचले सदन लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 के बदलाव को लेकर विधेयक पेश किया है. उन्होंने कहा की IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) बिल लेगा. इस बिल में महिलाओं के साथ हो रहे अत्यचार को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं. इस बिल में किसी महिला से पहचान छिपाकर शादी करने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रावधान से सरकार लव जिहाद पर रोक लगाने की तैयारी पर है.
अमित शाह ने कहा, ''महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं. शादी, रोजगार और प्रमोशन के झूठे वादे या गलत पहचान बताकर जो भी यौन संबंध बनाते थे, उसको अपराध की श्रेणी में पहली बार मोदी सरकार लाने जा रही है.''
इसके साथ ही उन्होंने कहा की ''गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. और नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.''
बिल में क्या है प्रावधान ?
गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पेश करते हुए कहा कि इस बिल में महिलाओं से संबंधी प्रावधान है. इस बिल में प्रावधान है कि शादी का झूठा वादा कर बलात्कार का दावा करने वाली महिलाओं के मामलो से अदालतें निपटती हैं, लेकिन IPC में इसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है. इस विधेयक की अब एक स्थायी समिति जांच करेगी.
इसके अलावा विधेयक में कहा गया है, ‘‘जो कोई भी धोखे से या बिना विवाह के इरादे से किसी महिला से शादी करने का वादा करता है और उसके साथ यौन संबंध बनाता है तो यह यौन संबंध बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन अब इसके लिए 10 साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.’’