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रांची/डेस्क: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन काल में देश पर थोपी गयी इमरजेंसी के आज 50 वर्ष पूरे हो गये हैं. इंदिरा गांथी ने 25 जून, 1975 में देश पर जो इमरजेंसी लादी थी, वह 21 मार्च, 1977 तक जारी रही. जिसमें देश के हर नागरिक की स्वतंत्रता का पूरी तरह से लोप कर दिया गया था. देश का कोई नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय तक भी नहीं जा सकता था. प्रेस की आजादी भी छीन ली गयी थी. प्रेस अगर मुखर होने का प्रयास भी करता था तो उसके खिलाफ दमनात्मक कार्रवाइयां की जाती थीं. यही वह समय था जब इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने देश में अनगिनत लोगों की जबरन नसबंदी भी करा दी थी. इस दौरान देश, देशवासियों, पत्रकारों, विपक्षी दलों के नेताओं पर जितने अत्याचार हुए, वह अकल्पनीय है. कई नेता तो वेश बदल कर, छुप-छुपाकर, अंडरग्राउंड होकर अज्ञातवास जैसा जीवन व्यतीत कर रहे थे. इन नेताओं में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल थे.
इसी आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे होने पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे एक काला अध्याय बताते हुए इसे याद किया. साथ ही इस दौरान मारे गये अनगिनत अनगिनत को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें याद किया.
पीएम मोदी ने इस अवसर को याद करते हुए कहा कि वह ऐसा दौर था जब लोगों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था. प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया था और अनगिनत नेता, छात्र और आम जन जेल में डाल दिये गये थे.
पीएम मोदी मोदी ने कहा कि आपातकाल का काला अध्याय एक सीख देने वाला अनुभव था, मगर इससे उबर कर संविधान में निहित सिद्धांतों को मजबूत कर विकसित भारत की कल्पना को साकार करना है.
पीएम मोदी ने X पर एक पोस्ट डालते हुए कहा- 'आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन, भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया और कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। ऐसा लग रहा था जैसे उस समय सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था! #संविधानहत्यादिवस
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