संतोष कुमार श्रीवास्तव/ न्यूज़ 11 भारत
पलामू/डेस्क: पलामू के पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार पांडू थाना प्रभारी सौरभ कुमार सिन्हा ने अपने थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया। इस प्रयास का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू पुलिस और आम जनता, खासकर ग्रामीण समुदाय के बीच बेहतर संबंध स्थापित करना भी था।
जन चौपाल का आयोजन
पांडू थाना पुलिस की टीम ने पाण्डु थाना क्षेत्र के भटवलिया गांव में विशेष रूप से एक 'जन चौपाल' का आयोजन किया। यह एक तरह की खुली बैठक थी जहाँ ग्रामीण सीधे पुलिस अधिकारियों से बातचीत कर सकते थे।
ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान
इस चौपाल का एक अहम हिस्सा ग्रामीणों की समस्याओं को सुनना था। थाना प्रभारी सौरभ कुमार सिन्हा और उनकी टीम ने धैर्यपूर्वक ग्रामीणों की शिकायतें और मुद्दे सुने। पुलिस ने मौके पर ही कई समस्याओं का त्वरित समाधान भी किया, जिससे ग्रामीणों का पुलिस प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा।
महिलाओं और ग्रामीणों के लिए जागरूकता के बिंदु:
* नशापान के दुष्परिणाम: ग्रामीणों, विशेषकर पुरुषों को नशे (जैसे शराब, तंबाकू आदि) के सेवन से होने वाले शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक नुकसान के बारे में विस्तार से बताया गया। यह समझाया गया कि नशा कैसे घरों को बर्बाद करता है और अपराध को बढ़ावा देता है।
* ट्रैफिक नियमों का पालन: सुरक्षित यातायात के नियमों के महत्व को समझाया गया। इसमें हेलमेट पहनने, सीट बेल्ट लगाने, तेज गति से वाहन न चलाने और ट्रैफिक संकेतों का पालन करने जैसी बातें शामिल थीं, ताकि सड़क दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
* पुलिस और साइबर हेल्पलाइन:
* हेल्पलाइन 112: यह एक एकीकृत आपातकालीन नंबर है जिसकी जानकारी दी गई। बताया गया कि किसी भी आपात स्थिति (पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड) में मदद के लिए इस नंबर का उपयोग कैसे और कब करें।
* साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930: ऑनलाइन धोखाधड़ी या किसी भी प्रकार के साइबर अपराध का शिकार होने पर तत्काल शिकायत दर्ज कराने के लिए इस नंबर के महत्व को समझाया गया। इसके सही और समय पर उपयोग करने की विधि बताई गई।
* सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता: यह इस कार्यक्रम का एक प्रमुख केंद्र बिंदु था, खासकर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए:
* यौन शोषण से बचाव: महिलाओं और बच्चियों को यौन उत्पीड़न से बचाव के उपायों के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि ऐसी स्थिति में वे किसे सूचित करें और पुलिस की मदद कैसे लें।
* बाल विवाह: कम उम्र में शादी करने के कानूनी अपराध होने और इसके स्वास्थ्य एवं सामाजिक दुष्परिणामों (लड़की की शिक्षा रुकना, स्वास्थ्य खराब होना आदि) के बारे में बताया गया।
* दहेज प्रथा: दहेज लेना और देना दोनों कानूनी अपराध हैं, इसके बारे में बताया गया। यह समझाया गया कि यह प्रथा कैसे महिलाओं का अपमान करती है और परिवारों पर बोझ डालती है।
* जातिवाद और छुआछूत: इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सद्भाव और समानता का संदेश दिया गया। बताया गया कि ये कैसे समाज को बांटती हैं और विकास में बाधा बनती हैं।
* डायन प्रथा: यह एक गंभीर अंधविश्वास है जिसके कारण महिलाओं पर अत्याचार होता है। इसे एक कुप्रथा बताते हुए इसके खिलाफ जागरूकता फैलाई गई और बताया गया कि ऐसे मामलों की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
* सोशल मीडिया और मोबाइल के अत्यधिक उपयोग के दुष्परिणाम: आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन और सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल कैसे समय की बर्बादी, आंखों की समस्या, नींद की कमी, और ऑनलाइन खतरों (जैसे साइबर बुलिंग, ठगी) को बढ़ा सकता है, इसके बारे में खासकर महिलाओं और युवाओं को सावधान किया गया।
बच्चों के लिए विशेष सत्र
चौपाल के दौरान बच्चों को भी संबोधित किया गया और उनके लिए महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं:-
* गुड टच, बैड टच: - बच्चों को सरल भाषा में समझाया गया कि कौन सा स्पर्श सुरक्षित (गुड टच) है और कौन सा असुरक्षित (बैड टच)। उन्हें सिखाया गया कि यदि कोई उन्हें गलत तरीके से छूता है तो वे घबराएं नहीं, तुरंत अपने माता-पिता या विश्वसनीय बड़े व्यक्ति को बताएं।
* अनुशासन: -जीवन में अनुशासन के महत्व को समझाया गया, यह कैसे उनकी पढ़ाई और भविष्य के लिए आवश्यक है।
* बाल अपराध: -बच्चों को बाल अपराधों (दोनों तरह के - अपराध करने और अपराध का शिकार होने) के बारे में सामान्य जानकारी दी गई और उन्हें ऐसे कृत्यों से दूर रहने तथा किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने के लिए प्रेरित किया गया।
ऑनलाइन ठगी और सड़क दुर्घटनाओं से बचाव
पुलिस ने ऑनलाइन होने वाली धोखाधड़ी (जैसे OTP पूछना, लॉटरी का झांसा देना आदि) से बचने के लिए सावधानियां बरतने की सलाह दी। साथ ही, सड़क दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहने के उपायों को दोहराया गया।
ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी
इस जन चौपाल की एक महत्वपूर्ण विशेषता ग्रामीणों की खुलकर भागीदारी रही। अपने बीच पुलिस प्रशासन की टीम को पाकर ग्रामीणों ने बिना किसी झिझक के पुलिस अधिकारियों से सवाल पूछे, अपनी समस्याएं बताईं और खुलकर बातचीत की। यह दर्शाता है कि पुलिस के इस कदम से ग्रामीणों में विश्वास जगा।
कुल मिलाकर, यह जागरूकता कार्यक्रम केवल जानकारी देने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह पुलिस और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित करने, उनकी समस्याओं को समझने और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ मिलकर लड़ने की एक सार्थक पहल थी, जिसका उद्देश्य पलामू के ग्रामीण क्षेत्रों में नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और एक सुरक्षित समाज का निर्माण करना हैं.