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झारखंड


सिमडेगा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच निर्णायक संघर्ष

जातिगत और विकास मुद्दे तय करेंगे परिणाम
सिमडेगा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच निर्णायक संघर्ष

 न्यूज़ 11 भारत 


सिमडेगा/डेस्क: विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरों पर हैं, और चुनावी बिगुल कभी भी बज सकता है. इस बार सिमडेगा विधानसभा सीट पर चुनावी रण किस दिशा में जाएगा, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा. हालांकि, सिमडेगा विधानसभा सीट पर टिकटों की होड़ और चुनावी संघर्ष पहले ही रोमांचक और अप्रत्याशित परिणाम की ओर इशारा करने लगा है.

 

सिमडेगा विधानसभा सीट अब तक कई राजनीतिक पार्टियों के कब्जे में रही है. पहले झारखंड पार्टी (एनई होरो) का इस सीट पर कब्जा था. अब यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर होती है. हालांकि, झारखंड पार्टी (एनोस एक्का) भी इस बार प्रभावी भूमिका में नजर आ रही है. पिछले तीन चुनावों में झापा की वजह से भाजपा और कांग्रेस के बीच का अंतर कम होता नजर आ रहा है. 2009 से सिमडेगा विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला जारी है. 2009 में भाजपा की विमला प्रधान को 38,476, कांग्रेस के नियेल तिर्की को 37,363, और झापा के एनोस एक्का को 18,252 वोट मिले थे. 2014 में भाजपा की विमला प्रधान को 45,343, झारखंड पार्टी की मेनन एक्का को 42,149, और कांग्रेस के बेंजामिन लकड़ा को 20,601 वोट मिले थे. 2019 में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था. मौजूदा विधायक कांग्रेस के भूषण बाड़ा ने केवल 285 वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे, और उन्होंने भाजपा के श्रद्धानंद बेसरा को हराया था. झारखंड पार्टी के रेजी डुंगडुंग को मिले 10,753 वोट ने चुनाव को और रोमांचक बना दिया था.

 

इस बार चुनावी रण में कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बनती नजर आ रही है. इसका एक बड़ा कारण वर्तमान विधायक की कार्यशैली को लेकर पार्टी के अंदर भी असंतोष है. क्षेत्र की जनता भी कांग्रेस से नए चेहरे की उम्मीद कर रही है. चुनावी टिकट के लिए कांग्रेस में कई चेहरे दौड़ में नजर आ रहे हैं. हालांकि, टिकट को लेकर पार्टी के आलाकमान का निर्णय क्या होगा, यह तो बाद में ही पता चलेगा. लेकिन इस बार कांग्रेस में सिमडेगा विधानसभा सीट के लिए टिकट की जंग चुनावी दंगल से भी ज्यादा रोमांचक हो सकती है.

 

इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी. खड़िया और उरांव जाति के मतदाता इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और चुनावी परिणाम की दिशा तय करेंगे. भाजपा के लिए यह मुकाबला कठिन होगा, और कांग्रेस के लिए भी यह एक बड़ा चैलेंज होगा. हालांकि, चुनावी परिणाम झारखंड पार्टी और अन्य प्रत्याशियों द्वारा प्राप्त वोटों से अप्रत्याशित भी हो सकते हैं.

 


 

सिमडेगा को हॉकी ने विशेष पहचान दी है. हॉकी को बढ़ावा देने के लिए विधानसभा क्षेत्र के शहरी हिस्से में एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम का निर्माण किया गया है, जिससे विदेशों में भी इसकी साख बढ़ी है. स्टेडियम में दो राष्ट्रीय मैच भी आयोजित किए गए हैं. हालांकि, सिमडेगा में समस्याओं की कमी नहीं है. पलायन, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, रेलवे लाइन का निर्माण और शुद्ध पेयजल की कमी जैसी समस्याएं यहां प्रमुख मुद्दे हैं. क्षेत्र में 40 वर्ष पुरानी जलापूर्ति योजना से लोगों का काम चल रहा है, और उच्च शिक्षा के लिए भी कोई विशेष पहल नहीं की गई है.

 
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