अजय लाल / न्यूज 11 भारत
रांची- अगर आपको भारत, खासकर झारखंड का इतिहास जानना है तो एक बार रांची के कचहरी चौक स्थित दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल कार्यालय जरूर आईए. यह कार्यालय आपको पहली नजर में ही गुलाम भारत से लेकर आजाद भारत की पूरी तस्वीर आपकी आंखों के सामने रख देगा. पहली बार में आयुक्त कार्यालय में बैठकर ऐसा लगेगा जैसे तुरंत कोई लंबा व्यक्ति, गोरा चेहरा वाला आकर कुर्सी पर बैठेगा. दरअसल, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल कार्यालय में आयुक्तों के पूरे नाम लिखे हैं. 1850 में दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त जे एच क्रोफोर्ड हुआ करते थे. वह 1850 से 1853 तक इस पद पर रहे. उनके बाद डब्लू जे एलैन आयुक्त बने और वह 1857 तक इस पद पर रहे. यदि आप भारत के इतिहास में थोड़ी भी दिलचस्पी रखते हैं तो आयुक्त कार्यालय में यह सब पढ़ते हुए आप खुद ब खुद अतीत में चले जाएंगे.
दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के कार्यालय की कुर्सियां पहले जैसी थी आज भी वैसी ही लगती है. किसी आयुक्त को इसमें कोई वास्तु दोष नजर नहीं आया. अच्छी बात यह कि सभी ने अपने हिस्से का योगदान दिया है.
1850 से लेकर भारत की आजादी के वर्ष यानी 1947 के बाद पहली बार मिस्टर एम एस राव जो कि तब के आईसीएस (वर्तमान में इस पद को आईएएस कहा जाने लगा है) थे. एम एस राव दक्षिण भारत के रहने वाले थे, तब भी कार्यालय कचहरी चौक के पास ही हुआ करता था. एम एस राव 26 अप्रैल 1948 से लेकर 23 जून 1952 तक इस पद पर रहे. वहीं कहा जाता है कि तब उन्होंने एक बारगी भारतीय लोगों के लिए दो सौ से ज्यादा अहम फैसलों पर हस्ताक्षर किये, जिसे अंग्रेज आयुक्तों ने लंबित रखा हुआ था. बात अगर बिहार की करें, तो एक अप्रैल 1912 को बिहार और ओडिशा दो प्रांत बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर नये राज्य के रूप में जन्म लिया. दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल यानी मौजूदा झारखंड, बिहार का हिस्सा हुआ करती थी. बिहार के गठन के बाद पहली बार एक जनवरी 1975 को भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यू वैधनाथन दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त बने. इसके बाद की कहानी यह है कि वर्ष 2000 में झारखंड के गठन के बाद आईएएस अधिकारी फूल सिंह 15 नवंबर 2000 को दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त बने, और तब से यह सिलसिल चल पड़ा है. मौजूदा आयुक्त नीतीन मदन कुलकर्णी दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के 19 वें आयुक्त हैं. कभी इस पद पर रहकर निधि खरे, सुरेन्द्र सिंह मीणा और मौजूदा विकास आयुक्त के.के खण्डेवाल ने भी इस कुर्सी की शोभा बढायी थी.