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रांची/डेस्क: विपक्ष की राजनीतिक लिप्सा का एक और परिणाम सामने आ सकता है. खबर है कि चुनाव आयोग से नाराज चल रहा विपक्ष आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव ला सकता है. विपक्ष तो पहले से ही चुनाव आयोग पर बिहार में SIR कराने का 'नाजायक कृत्य' करने का आरोप लगा ही रहा है, अब उसका आरोप 'वोट चोरी' जैसे आरोपों में बदल गया है. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वह हर हथकंडे अपना रहा है जिसका किसी भी रूप में उसे कोई फायदा कहीं से मिल जाये. इसी फायदा के लिए ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकली हुई है, जिसका समापन 1 सितम्बर को पटना के गांधी मैदान की महा रैली के रूप में होगा. यानी विपक्ष को लग रहा है कि बिहार विधानसभा का रण जीतने के लिए उसे बड़ा हथियार मिल गया है.
अभी तक तो बात आरोप-प्रत्यारोप और प्रदर्शनों तक टिकी हुई थी, लेकिन अब उससे भी आगे निकल गयी है. खबर आ रही है कि विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए सोमवार यानी आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के ऑफिस में एक बैठक हुई जिसमें इसी विषय पर चर्चा की गयी.
अगर ऐसी बात है तो समझने वाली बात यह है कि आखिर विपक्ष किस आधार पर ऐसा करने की सोच रहा. कांग्रेस के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में एक नहीं दो-दो बार विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी है. उसके बाद भी उसे अपनी गलती का एहसास नहीं हो रहा है. विपक्ष जो कुछ भी कर रहा है, उसके पीछे एक ही बात समझ जाती है, वह है सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाना, चाहे वह किसी भी रूप में मिले. कांग्रेस ऐसा करने का जुआ इसलिए भी खेलना चाहेगी क्योंकि उसे लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में संविधान की किताब सिर पर ढोने का लाभ मिल सकता है, तो संवैधानिक संस्था को कटघरे में खड़ा करने का भी शायद उसे लाभ मिल जाये. दूसरी बात यह कि रविवार को जिस प्रकार मुख्य चुनाव आयुक्त ने जिस प्रकार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विपक्ष की राजनीतिक पार्टियों पर प्रहार किये थे, वह शायद उन्हें चुभ गयी है और उन्हें अपने राह का कांटा मान रही है. इसलिए वह इस कांटे को रास्ते से हटाना चाह रही है.
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