न्यूज11 भारत
जादूगोड़ा/डेस्क: संसद में संथाली भाषा शामिल होने पर आदिवासी समाज की खुशी की लहर दौड़ गई है. इधर असेंका के महासचिव शंकर सोरेन ने संसद में संथाली भाषा को शामिल करने को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व लोकसभा सभापति ओम बिड़ला के प्रति आभार जताते हुए धन्यवाद दिया हैं. उन्होंने कहा कि संसद की कार्यवाही में संथाली भाषा के शामिल होने से आदिवासियों के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. वहीं झारखंड, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल के लोग भी अपनी बात आसानी व सहज भाव से संसद में रख सकेंगे. उन्होंने जानकारी दी कि संथाली समेत मुंडारी, आस्ट्रिक एक प्रमुख पुरानी भाषा है. इसका लिपि ओलचिकी ही है. उन्होंने आगे कहा कि ओलचिकी भाषा डिजिटल इनोवेशन हो गया है. मोबाइल में ओलचिकी से हर प्रकार का कार्य होता है. इस भाषा की मान्यता एनसीईआरटी की साहित्य अकादमी नई दिल्ली समेत असम, पश्चिम बंगाल उड़ीसा में मिल चुकी है.