नितम राज/न्यूज़11 भारत
बिहार/डेस्क: तेजस्वी प्रसाद यादव बापू सभागार, पटना में बिहार भर के छात्र और युवाओं से संवाद स्थापित कर उनके हितों की आवाज़ बुलंद करने हेतू ‘‘छात्र-युवा संसद’’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए युवा राजद गया जी द्वारा एक विशाल जथा के साथ युवा राजद गया जी का हुजूम युवा राजद गया जी के प्रधान महासचिव विनोद यादव के नेतृत्व में पटना के लिए रवाना किया गया.जिसमें युवा राजद गया जी के जिला अध्यक्ष प्रभात रंजन कुमार के साथ-साथ युवा राजद गया जी के तमाम जिला के पदाधिकारीगण, सभी युवा प्रखंड अध्यक्षगण, सभी पंचायत अध्यक्षगण एवं समस्त गया जी जिला के सक्रिय युवा राजद के साथीगण आयोजित छात्र-युवा संसद कार्यक्रम में उपस्थित होकर पूर्व मुख्यमंत्री सह नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के हाथों को मजबूत करें. इस कार्यक्रम के उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव करेंगे.
हज़ारों-हज़ार के काफिले को संबोधित करते हुए युवा राजद गया जी के प्रधान महासचिव विनोद यादव ने कहा कि कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है वह किसी से छुपा नहीं हैं. अधिकतर मामलों को दर्ज नहीं किए जाने और मीडिया की सरकार द्वारा एडिटिंग के बावजूद अपराध के आँकड़े आसमान छू रहे हैं. ऐसी स्थिति में युवा पूरी सकारात्मकता व एकाग्रता से अपने भविष्य को सँवारने की ओर कैसे बढ़ सकता है? युवाओं के नकारात्मक होने, हताश होने या गलत मार्ग पकड़ने की पूरी संभावना है. भला ऐसे में कोई युवा प्रदेश की प्रगति में कैसे अपनी प्रतिभानुसार योगदान दे पाएगा? उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव का घोषित योजनाओं को नीतीश कुमार लागू कर रहे है, इससे साफ दिखता है सरकार को भी तेजस्वी आईना दिखा रहे हैं!
वही मौके पर युवा राजद, गया जी के जिला अध्यक्ष प्रभात रंजन कुमार ने कहा कि युवा वर्ग राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभा पाए. इसके लिए 4 चीज़ों का होना अत्यावश्यक है उत्कृष्ट शिक्षण संस्थाएं रोज़गार के अवसर स्वस्थ अर्थव्यवस्था सामाजिक सौहार्द व अच्छी कानून व्यवस्था और बिहार में ये चारों परिस्थितियां युवाओं के लिए नहीं है. युवा किसी भी देश के शक्ति पुंज होते हैं. राष्ट्र या प्रान्त की शक्ति उसके युवाओं में शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य और मानसिकता के द्वारा निर्धारित और परिभाषित होती है. बिहार के युवा वर्ग को भाजपा-जेडीयू शासनकाल में जितना उपेक्षित किया गया है. वह सम्भवत किसी भी राज्य या देश में कभी नहीं किया गया होगा/ प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, सबकुछ कामचलाऊ ढर्रे पर धकेल दिया गया है. बिहार के विद्यालयों से विद्या को ही गायब कर दिया गया है. विश्वविद्यालयों में एक भी ऐसा विश्वविद्यालय नहीं रहा जिसकी देश के सर्वश्रेष्ठ 100 संस्थानों में हो सके. कॉलेजों में सत्र का 2 से 4 साल तक के लिए पीछे चलना एकदम आम बात है.