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रांचीः इन दिनों सावन का पावन महीना चल रहा है. कल यानी 17 जुलाई को इस महीने का दूसरा सोमवार है. इसके साथ ही सोमवती अमावस्या भी है. दूसरी सोमवार के साथ ही 17 जुलाई से एक माह का मलमास भी प्रारंभ शुरू हो रहा है. ऐसे में भक्तों की भीड़ शिव मंदिरों में उमड़ेगी. बाबा नगरी देवघर के बाबा वैद्यनाथ के दरबार में भी कांवरियों का रेला उमड़ेगा. इसे लेकर जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. इधर राजधानी रांची में भी पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर पुख्ता इंतजाम कर लिए है. अपनी मनोकामनाओं को भगवान शिव से मांगते हुए शिवभक्त सोमवार के व्रत के साथ उनकी पूजा अर्चना करते है. इसे लेकर राजधानी के पहाड़ी मंदिर में शिवभक्तों का हुजूम देखते ही मिलती है. आइए..जानते है सावन में सोमवार की पूजा विधि और इस बार के दूसरे सोमवार को बन रहे विशेष संयोग के बारे में विस्तार से..
सावन के दूसरे सोमवार पर सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या का खास संयोग भी बन रहा है. साथ ही रूद्राभिषेक के लिए शिववास और पुनर्वसु नक्षत्र भी है. आपको बता दें, इस बार का सावन दो महीने का है. कल यानी 17 जुलाई को सावन महीने की अमावस्या की तिथि है जिसे हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है.
जानें सोमवार के व्रत की पूजा विधि
सुबह-सबेरे सबसे पहले उठने के बाद भक्त स्नान और ध्यान करें, बाबा भोलेनाथ के साथ इस दिन देवी पार्वती की भी पूजा-अर्चना की जाती है. स्नान-ध्यान करने के बाद शिव मंदिर जाएं जो आपके घर के आस-पास हो और वहां जाने के बाद भगवान शिव के साथ देवी पार्वती के सामने बैठकर सोमवार की पूजा और व्रत का संकल्प लें. इस दिन आप देवी पार्वती को मेहंदी, चुनरी और सोलह श्रृंगार भी अर्पित कर सकते हैं.
सनातन धर्म में सोमवार के व्रत का है विशेष महत्व
आपको बता दें, सनातन हिन्दू परंपरा के अनुसार सावन के इस पवित्र महीने में सोमवार के व्रत का एक विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि सावन के हर सोमवार को व्रत रखने से बाबा भोलेनाथ और मां पर्वती की विशेष कृपा मिलती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भोलेनाथ को अपने पति के रुप में पाने के लिए देवी पर्वती ने सावन के सोमवार का व्रत रखा था.