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रांची/डेस्क: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को लेकर चल रहे आंदोलन को एक नई दिशा देने के लिए हम लोग इस बार हूल दिवस भोगनाडीह में मनायेंगे.
आज से 170 साल पहले, जब फोन नहीं था, संवाद के साधन नहीं थे, गाड़ी नहीं थी, तब भी हमारे समाज के इन नायकों ने आदिवासी समाज को, हमारी परंपरा को और हमारी संस्कृति को बचाने के लिए हजारों-लाखों लोगों को एकजुट कर के, अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था.
उन्होंने कहा कि आज हमारे समाज की जमीन पर बांग्लादेशी घुसपैठिये कब्जा कर रहे हैं. हमारी बहु-बेटियों की अस्मिता खतरे में है. संथाल परगना समेत पूरे झारखंड में हमारा अस्तित्व खतरे में है. राज्य सरकार पेसा को लागू नहीं करना चाहती है. सरकारी योजनाओं का लाभ हमारे समाज को नहीं मिल पा रहा. इस परिस्थिति को बदलना होगा. इसलिए हम लोग भोगनाडीह में वीर सिदो-कान्हू, चाँद-भैरव, फूलो-झानो और बाबा तिलका मांझी समेत सभी वीरों को नमन कर के, उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेंगे. वीरों की इस धरती से फिर एक बार “हूल” होगा. हूल जोहार !